Bird Flu: UP के चिड़ियाघरों में हाईअलर्ट, डाक्टरों और कीपरों को हर पक्षी पर नजर रखने के निर्देश

बर्ड फ्लू को लेकर लखनऊ सहित प्रदेश के चिड़ियाघरों में अलर्ट घोषित कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ ही राजधानी लखनऊ (Lucknow) समेत उत्तर प्रदेश के सभी प्राणी उद्यानों/चिड़ियाघरों (Zoo) में भी बर्ड फ्लू को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है. यहां इस जानलेवा बीमारी से निपटने के लिये तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: January 8, 2021, 6:09 PM IST
आगरा. कोराना संकट के दौरान देश में बर्ड फ्लू (Bird Flu) की आमद से हडकंप मच गया है. देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद उत्तर प्रदेश में भी बर्ड फ्लू से बचाव के लिये हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. योगी सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा देश में बढ़ रहे बर्ड फ्लू के मामलों को देखते हुए एक विशेष एडवाइजरी जारी की गई है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ ही राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के सभी प्राणी उद्यानों/चिड़ियाघरों (Zoo) में भी बर्ड फ्लू को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है. यहां इस जानलेवा बीमारी से निपटने के लिये तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं.
प्रवासी पक्षियेां का नेचुरल वायरस है बर्ड फ्लू
राजधानी लखनऊ स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान के निदेशक डॉ आरके सिंह के मुताबिक बर्ड फ्लू मूलत: भारत आने वाले प्रवासी पक्षियों की बीट से फैलता है. जो अक्टूबर-नवंबर में बाहर से आते हैं. बर्ड फ्लू प्रवासी पक्षियों का एक नेचुरल वायरस है, लेकिन ये पानी के आस-पास रहने वाले बतख, किंगफिशर, बगुला जैसी देश की एक्वैटिक बर्ड के जरिये न सिर्फ मुर्गा-मुर्गी जैसी कुक्कुट प्रजाति से जुडे पक्षियो में बेहद तेजी से फैलता है, बल्कि इससे उनकी मौत भी हो जाती है.
यूपी में अब तक कोई मामला नहीं आया है
लखनऊ चिडियाघर के निदेशक डॉ. आर.के. सिंह आगे बताते है कि ‘देश के 6 राज्यो में भले ही इसकी पुष्टि होने की सूचना मिल रही हो. लेकिन अब तक यूपी में बर्ड फ्लू को कोई मामला सामने नही आया है. हालांकि इसके बावजूद बर्ड फ्लू को लेकर लखनऊ चिडियाघर के सारे डाक्टर्स-कीपरों को अलर्ट कर हर एक पक्षी पर लगातार नजर रखने के निर्देश दिये गये है. और साथ ही सुस्त या इस तरह की बीमारी के कोई लक्षण दिखने पर तत्काल संबंधित पक्षी को अस्पताल में शिफ्ट कर उसकी जांच के लिये सैंपल भी भेजने के निर्देश दिये गये है.
पूरी एहतियात बरती जा रही
लखनऊ चिडियाघर के निदेशक बताते हैं, ‘जंगल में खाने-पीने का एहतियात नहीं बरता जा सकता, लेकिन चिडियाघर में मौजूद पशु-पक्षियों को बर्ड फ्लू से बचाने के लिये उनके खाने को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है. जिसके तहत बर्ड फ्लू फैलने की संभवना वाले अंडे को जहां गर्म पानी से धोने के बाद लाए जाने के साथ 70 डिग्री सेंटीग्रेट पर उबाल कर ही के दिया जाता है. तो वहीं चिड़ियाघर में फिलहाल चिकन लाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. हालांकि यहां चिकन वैसे भी किसी जानवर को पाचन की समस्या के चलते ही दिया जाता है.’
प्रवासी पक्षियेां का नेचुरल वायरस है बर्ड फ्लू
राजधानी लखनऊ स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान के निदेशक डॉ आरके सिंह के मुताबिक बर्ड फ्लू मूलत: भारत आने वाले प्रवासी पक्षियों की बीट से फैलता है. जो अक्टूबर-नवंबर में बाहर से आते हैं. बर्ड फ्लू प्रवासी पक्षियों का एक नेचुरल वायरस है, लेकिन ये पानी के आस-पास रहने वाले बतख, किंगफिशर, बगुला जैसी देश की एक्वैटिक बर्ड के जरिये न सिर्फ मुर्गा-मुर्गी जैसी कुक्कुट प्रजाति से जुडे पक्षियो में बेहद तेजी से फैलता है, बल्कि इससे उनकी मौत भी हो जाती है.
यूपी में अब तक कोई मामला नहीं आया है
लखनऊ चिडियाघर के निदेशक डॉ. आर.के. सिंह आगे बताते है कि ‘देश के 6 राज्यो में भले ही इसकी पुष्टि होने की सूचना मिल रही हो. लेकिन अब तक यूपी में बर्ड फ्लू को कोई मामला सामने नही आया है. हालांकि इसके बावजूद बर्ड फ्लू को लेकर लखनऊ चिडियाघर के सारे डाक्टर्स-कीपरों को अलर्ट कर हर एक पक्षी पर लगातार नजर रखने के निर्देश दिये गये है. और साथ ही सुस्त या इस तरह की बीमारी के कोई लक्षण दिखने पर तत्काल संबंधित पक्षी को अस्पताल में शिफ्ट कर उसकी जांच के लिये सैंपल भी भेजने के निर्देश दिये गये है.
पूरी एहतियात बरती जा रही
लखनऊ चिडियाघर के निदेशक बताते हैं, ‘जंगल में खाने-पीने का एहतियात नहीं बरता जा सकता, लेकिन चिडियाघर में मौजूद पशु-पक्षियों को बर्ड फ्लू से बचाने के लिये उनके खाने को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है. जिसके तहत बर्ड फ्लू फैलने की संभवना वाले अंडे को जहां गर्म पानी से धोने के बाद लाए जाने के साथ 70 डिग्री सेंटीग्रेट पर उबाल कर ही के दिया जाता है. तो वहीं चिड़ियाघर में फिलहाल चिकन लाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. हालांकि यहां चिकन वैसे भी किसी जानवर को पाचन की समस्या के चलते ही दिया जाता है.’