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3 साल की उम्र में बाप ने छीन ली खुशियां, बेटी ने जीता मौत से जंग, जानिए Agra की एसिड सर्वाइवर नीतू की दर्दभरी कहानी

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ठेल

ठेल पर काम करती नीतू

Agra News: नीतू बताती हैं कि गर्मी के दिनों में उनके चेहरे पर तेज जलन होती है. पराठे बनाते वक्त भी धुंआ और गर्मी सहन कर ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: हरिकांत शर्मा

आगरा: कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों. जी हां, दृढ़ इच्छाशक्ति, लगन, कड़ी मेहनत और काबिलियत हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. इस वाक्य को आगरा की नीतू माहौर ने चरितार्थ किया है. एसिड अटैक सरवाइवर नीतू माहौर की कहानी आपको अंदर से झकझोर कर रख देगी. यह कहानी एक लड़की के हौसले और जिंदादिली से जीने की जद्दोजहद को भी दिखाती है.

जब नीतू महज 3 साल की थी. वो अपनी छोटी बहन और अपनी मां के साथ नानी के घर फतेपुर सीकरी में बाहर ठेल पर सो रही थी. तभी उसके पिता और चाचा, बाबा उसके नानी के घर पहुंचते हैं और नीतू उनकी मांं और छोटी बहन के ऊपर तेजाब उड़ेल देते है. इस घटना में मां के साथ दोनों बेटियां बुरी तरीके से झुलस जाती हैं. सबसे छोटी बेटी कृष्णा जो उस वक्त महज डेढ़ साल की रही होगी. इलाज के दौरान कृष्णा सरवाइव नहीं कर पाती है और उसकी दर्दनाक मौत हो जाती है. इस घटना में नीतू की मां गीता देवी और नीतू सरवाइव करते हुए जिंदा तो बच जाते हैं, लेकिन उनकी पूरी जिंदगी तहस-नहस हो जाती है, क्योंकि दोनो का चेहरा पूरी तरीके से जल जाता है. नीतू की आंखों की रोशनी चली जाती है.

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बेटे की चाहत में बाप बना जल्लाद
आपको आश्चर्य इस बात को जानकर होगा कि उनके ही पिता और रिश्तेदारों ने उनके ऊपर एसिड अटैक इसलिए किया क्योंकि गीता देवी की 3 लड़कियां थी और पिता को लड़के की चाहत थी. नीतू के पिता को उसके घर वालों ने उकसाया और उनके ऊपर एसिड अटैक करवा दिया है. जिसके बाद उनकी मां ने पुलिस केस किया और उनके पिता और रिश्तेदारों को 2 साल की सजा भी हुई. बाद में समाज के दबाव में केस वापस लेना पड़ा. लेकिन समय का पहिया चलाएं मान होता है. समय बीतता गया समाज के ताने-बाने और जद्दोजहद के बाद हिम्मत ना हारने वाली नीतू ने अब अपनी जिंदगी नए सिरे से जीना शुरु किया है.नीतू ने हाल ही में अपना स्टार्टअप अपनी मां के नाम से खोला है. जिसे नाम दिया है ‘ गीता की रसोई” इस काम में उनकी मदद उनकी छोटी बहन पूनम, जीजा मनीष और मनीष के मित्र करते हैं.

रोजगार भारती के सहयोग से शुरू किया स्टार्टअप
नीतू इससे पहले आगरा के शिरोज़ हैंग आउट कैफे में जॉब करती थी. बचपन में ही चेहरे पर तेजाब डाला गया, जिसकी वजह से उनका चेहरा बुरी तरीके से झुलस गया. दोनों आंखें भी खराब हो गई. आंखों से ना के बराबर दिखता है. कई सर्जरी हुई, अभी भी इलाज जारी है. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. जिस वजह से नीतू कभी स्कूल नहीं जा सकी, कभी पढ़ाई लिखाई नहीं कर पाए. नीतू को हमेशा से अपने बलबूते पर जिंदगी जीना चाहती थी. इसी वजह से उन्होंने शिरोज हैंग आउट से जॉब छोड़ कर अपना स्टार्टअप शुरू किया और इस स्टार्टअप में उनकी मद्दत के लिये आगे आया, आरएसएस (RSS) का प्रकल्प रोजगार भारतीय ने नीतू को निशुल्क ठेल उपलब्ध कराई है.

लड़का- लड़की में भेदभाव
नीतू बताती हैं कि गर्मी के दिनों में उनके चेहरे पर तेज जलन होती है. पराठे बनाते वक्त भी धुंआ और गर्मी सहन करना मुश्किल होता है. लेकिन यह जिंदगी के वह कठिन दौर हैं, जिन्हें आपको गुजर कर कामयाबी तक पहुंचना है. इसके साथ ही नीतू कहती हैं कि जब तक लड़का- लड़की में भेदभाव करना हमारे दिमाग से नहीं निकलेगा. तब तक समाज ऐसे ही पीछे बिछड़ता रहेगा. धन दौलत कोई जन्म से लेकर नहीं आता है. चाहे वह लड़का हो, चाहे वह लड़की हो. एसिड अटैक पर बोलते हुए नीतू कहती हैं कि जो घटनाएं हो रही है. जैसे एसिड अटैक, डोमेस्टिक वायलेंस, रेप ये सभी पहले इंसान के मन में होती हैं. अगर मन से वायलेंस निकल जाए तो असल जिंदगी में भी नहीं होंगे.

Tags: Acid attack, Agra news, Crime Against woman, Inspiring story, Up crime news, UP police

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