हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है.हिंदू नव वर्ष को ही भारतीय नव वर्ष भी कहते हैं.आज आगरा में अनोखे तरीके से भारतीय नव वर्ष का स्वागत कर मनाया गया.आगरा में राष्ट्रीय बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विदेश से भारत घूमने आए सैलानियों को लाल किले पर तिलक लगाकर उपहार स्वरूप फूल देकर उनका स्वागत किया और उन्हें हिंदू नव वर्ष के बारे में बताया.राष्ट्रीय विश्व हिंदू परिषद के नेता अवतार सिंह गिल ने कहा ज्यादातर लोग समझते हैं कि नए साल की शुरूआत 1 जनवरी से होती है.लेकिन हिंदू रीति रिवाज और परंपराओं के अनुसार भारतीय नव वर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है.
इस दिन को मनाने की कई सारे महत्वपूर्ण तथ्य हैं.इसी दिन शक्ति की उपासक यानी मां दुर्गा के दिनों की शुरुआत नवरात्रि त्योहार के साथ होती है.9 दिनों तक माताओं के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. प्रकृति में भी नयापन होता है इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना भी की थी.इस दिन प्रकृति में नयापन होता है.पतझड़ के बाद पेड़ों पर नए कोपल आते हैं.मौसम में एक नई उमंग होती है.ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है.वित्तीय वर्ष का लेखा जोखा भी इसी दिन से शुरू होता है.किसानों के घर में फसल पक कर पहुंचती है तो कई मायनों में यह दिन बेहद खास होता है इस वजह से हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है .
जानबूझकर अंग्रेजों ने मनाया था 1 अप्रैल को अप्रैल फूल
अवतार सिंह कहते हैं कि जानबूझकर अंग्रेजों ने हमें अपनी हिंदू नव वर्ष मनाने से भ्रमित किया था.उन देशों ने पूरी दुनिया में यह प्रचलन फैला दिया कि 1 जनवरी को ही हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है.लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है.इसके साथ ही जानबूझकर अंग्रेजों ने 1 अप्रैल को मूर्ख बनाने वाले अप्रैल फूल दिन के रूप में मनाना शुरू कर दिया था,ताकि लोग अपने हिंदू नव वर्ष को अप्रैल फूल के रूप में मनाएं ना कि हिंदू नव वर्ष के रूप में लेकिन धीरे-धीरे अब लोगों में चेतना आ रही है और फिर से लोग भारतीय संस्कृति के साथ मिलकर नव वर्ष मना रहे हैं.
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