रिपोर्ट: कामिर कुरैशी
आगरा. पूरे विश्व में ताजमहल अपनी खूबसूरती की वजह से जाना जाता है. लेकिन मोहब्बत की इस अनमोल धरोहर से आगरा के पांच गांव के लोग नफरत करते हैं. उसके पीछे की वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के बाद ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी. जिसकी वजह अब इन गांवों में रहने वाले परिवारों को रोजाना खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बिना पास के आने जाने की अनुमति नहीं है. कोई रिश्तेदार भी आता है तो उसे प्रवेश दिलाना किसी जंग से कम नहीं है. इतना ही नहीं अब तो इन गांवों में शादी के रिश्ते भी नहीं आ रहे, जिसकी वजह से 40-45 फ़ीसदी युवा अभी भी कुंवारे हैं. यही वजह है कि इन गांव के लोगों को ताजमहल की खूबसूरती रास नहीं आती.
आगरा के 5 गांव गढ़ी वंगस, नगला पेमा, कलपी नगला, अहमद बुखारी का रास्ता ठीक ताजमहल के बगल से गुजरता है. सुरक्षा की दृष्टि से इस गांव की ओर जाने वाले व्यक्ति को पास की आवश्यकता होती है. गांव के अधिकतर लोगों ने पास बनवा रखा है, लेकिन उनके रिश्तेदारों को गांव में आने में बेहद समस्याओं का सामना करना पड़ता है. चेक पॉइंट पर खुद जिसके घर पर रिश्तेदार आए हैं उसको बुलाया जाता है. उसके बाद ही उन्हें गांव में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है.
पाबंदियों की वजह से 40-45 फीसदी युवा कुंवारे
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस मोहब्बत की निशानी को सात समुंदर पार से लोग देखने के लिए आते हैं. ताजमहल की एक झलक देखने की इच्छा रखते हैं. उसी के पास रहने वाले गांव के लोग इससे बेहद नफरत करते हैं. उनका कहना है कि काश यह ताज महल जैसी इमारत हमारे आस पास नहीं होती. ताजमहल के ठीक बगल से इन 5 गांवों का रास्ता जाता है. इन गांवों की लगभग आबादी 20 से 25 हजार है. सबसे बड़ी दिक्कत इनको निकलने में होती है. किसी भी मांगलिक कार्यक्रम में इनके रिश्तेदार नहीं पहुंच पाते हैं. रिश्तेदार तो छोड़िए शादी विवाह जैसे पवित्र रिश्ते के कार्ड देने व युवाओं के रिश्ते के लिए भी अब यहां पर लोग नहीं पहुंच रहे हैं. जिसकी वजह से 40 से 45 फ़ीसद युवा आज भी यहां कुंवारे हैं.
महीने में पांच दिन गांव के लोगों को रहना पड़ता है कैद
ताजमहल के पूर्वी गेट के पास दशहरा घाट की ओर से गांव अहमद बुखारी, नंगला पैमा, गढ़ी बंगस, नगला तल्फी और नगला ढींग पांच गांव हैं. 1992 में ताजमहल को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में लिया था. इसके बाद से इन गांव के लोगों को शहर जाने के लिए दशहरा घाट के निकट लगे नगला पैमा पुलिस चेक पोस्ट से होकर गुजरना पड़ता है या फिर 10 किमी घूमकर धांधूपुरा होकर जाना पड़ता है. गांवों में रहने वालों को सीओ ताजसुरक्षा से वाहन पास बनवाना पड़ता है और साथ ही आधारकार्ड रखना पड़ता है. बैरियर पर चेकिंग के बाद ही यह लोग जा सकते हैं. कोई रिश्तेदार यहां अपना वाहन नहीं ला सकता है. इन्हे खुद आकर उसे अपनी बाइक पर ले जाना होता है. सुबह और शाम थोड़ी देर के लिए बैट्री रिक्शा को छूट मिलती है. आगर कोई बीमार होता है या फिर गर्भवती महिला को इलाज के लिए ले जाना पड़ता है तो केवल यहां पर सरकारी एंबुलेंस ही पहुंच पाती है. ताजमहल पर माह के पांच दिन रात्रि दर्शन के समय और वीआईपी मेहमान आने पर गांव में ही कैद रहना पड़ता है. स्थानीय पार्षद का कहना है कि इस समस्या से कुछ लोग यहां से पलायन भी कर रहे हैं.
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