अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय 17 दिसंबर 2021 को 101 साल का हो गया.इस विश्वविद्यालय का ख्वाब सर सैयद अहमद खान ने बनारस में देखा था जो अलीगढ़ में 17 दिसंबर 1920 को विश्वविद्यालय के उद्घाटन के साथ साकार हुआ.अलबत्ता उन्होंने तालीम की शमा 1875 में मदरसा तुल उलूम की स्थापना के साथ रोशन कर दी थी.करीब 2 साल बाद 1877 में यह मदरसा मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की शक्ल में वजूद में आया 23 साल के बाद यह कॉलेज विश्वविद्यालय में तब्दील हो गया.एएमयू के जनसंपर्क विभाग ने बताया कि सर सैयद के जेहन में यूनिवर्सिटी का ख्वाब था 9 फरवरी 1873 को बनारस में पहली बैठक में उन्होंने कहा कि वह कोई मदरसा नहीं बना रहे, कोई कॉलेज नहीं बना रहे, बल्कि हम भविष्य की यूनिवर्सिटी बनाने का ख्वाब देख रहे हैं.भविष्य की यूनिवर्सिटी वहां बनाऊंगा जहां की आबोहवा सबसे बेहतर हो.
सर सैयद ने उस वक्त अलीगढ़ के सिविल सर्जन आर जैक्सन,कलेक्टर हेनरी जॉर्ज लॉरेस व पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर हंट की एक कमेटी बनाई.जिन्हें वहां की भौगोलिक स्थिति जांचने परखने की जिम्मेदारी सौंपी गई कमेटी ने बताया कि यहां ना तो बाढ़ आ सकती है और ना ही अकाल पड़ सकता है क्योंकि नदी दूर थी और 20 फुट के नीचे जल स्रोत है.इसके बाद खाली पड़ी 74 एकड़ जमीन पर मदरसा बन गया.
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का हिस्सा है.22 दिसंबर 2020 को विश्वविद्यालय के 100 साल पूरा होने पर ऑनलाइन कार्यक्रम हुआ.जिसमें मुख्य अतिथि के तौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे जिन्होंने यूनिवर्सिटी की खूबियां और अच्छाई पर उसे मिनी इंडिया बताया था.
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