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Success Story : कोरोना ने छीना पति का कारोबार तो पत्नी ने शुरू किया स्वरोजगार, अब हर महीने कमा रहीं एक लाख

कोरोना काल में पति का कारोबार छिन गया, जिससे गृहस्थी का पहिया चलते चलते अचानक थमने लगा, आर्थिक संकट से परिवार टूटने लगा ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- वसीम अहमद

अलीगढ़: कोरोना काल ने देश और प्रदेश ही नहीं पूरे विश्व को हर तरफ से चोट पहुंचाने का काम किया था. इस महामारी के दंश ने कइयों कि जिंदगी छीन ली, परिवार उजाड़ दिया, तो कइयों का रोजी-रोटी छीन ली. ऐसे ही लोगों में से एक हैं अलीगढ़ के सेंटर प्वाइंट इलाके के कल्पना टावर में रहने वालीं पारुल सचदेवा.

पेशे से पारुल के पति चेतन सचदेवा वेडिंग प्लानर हैं. उनका कारोबार कोरोना काल में खत्म हो गया. परिवार का आर्थिक ढांचा बिगड़ने लगा. भोजन से लेकर बच्चों की फीस को लेकर चिंता सताने लगी. ऐसे में पारुल सचदेवा ने लोगों से राय मशविरा किया. उन्हें खाना बनाने का शौक था. उसी शौक को कारोबार में बदलने का मन बना लिया और आपदा में अवसर तलाश लिया.

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पत्नी ने संभाली कारोबार की कमान

कोरोना काल में पति का कारोबार छिन गया, जिससे गृहस्थी का पहिया चलते चलते अचानक थमने लगा. आर्थिक संकट से परिवार टूटने लगा. ऐसे में एक पत्नी ने आपदा को अवसर बनाकर अपने खाना बनाने के शौक को कारोबार में बदल दिया. पारुल होममेड फूड आइटम के नाम से बाजार में अपने उत्पाद लेकर उतर गईं. देखते-देखते ही उनका कारोबार चल पड़ा.

खुशी इस बात की है, आज उन्हें उनके नाम से जाना जाता है. जोमैटो और स्वैगी ने उनसे करार किया. पहली बार व्रत थाली शुरू की, ताकि जो अकेले रह रहे हैं, वह व्रत रख सकें. इससे पहले वह हैंडीक्राफ्ट के तहत प्रदर्शनी लगा रही थीं, जो कोरोना काल में खत्म हो गया. पारुल अब तक अपने हाथ से हजार से ज्यादा वैराइटीज के खाने-पीने के आइटम बना चुकी हैं. जिसकी लोगों में खासा डिमांड पर रहती है, जिसमे से पारुल सचदेव के हाथ का आवले का चटनी और प्याज़ का अचार खास मशहूर है.

पारुल सचदेवा के फूड आइटम 60 रूपए से शुरू होते है. जैसे खाने की थाली 80 रुपये, प्याज़ अचार 250 रुपए किलो, आंवला चटनी 250 रुपए किलो , ब्लैक कैरेट कांजी 70 रूपये लीटर, मेंगो चूना 300 रूपये किलो अब वह हर महीने एक लाख रुपये से ज्यादा कमा रही हैं.

बेटियां भी करती हैं पूरा सहयोग

पारुल ने कहा कि बेटी ट्विंकल सचदेवा संत फिदेलिस स्कूल में कक्षा 11 में पढ़ रही है. नमकीन, मठरी, भोजन की थाली और अचार बनाने में मदद करती है. छोटी बेटी जसमीत सचदेवा व्यंजन बनाने के नए-नए आइडिया सुझाती हैं, जबकि पिताजी नरेश नागपाल पैकेट कैसे होने चाहिए, इसके बारे में जानकारी देते हैं.

वहीं पारुल सचदेवा से होम मेड फूड आइटम्स खरीदने वाली प्रीति बत्रा बताते हैं कि पारुल के हाथ से बने सारे व्यंजन बहुत स्वादिष्ट होते हैं और हाइजीनिक भी होते हैं. अगर बात की जाए क्वालिटी की तो क्वालिटी में भी बेस्ट होते हैं. मैं तो उनके हाथ से बने खाने की दीवानी हूं. पारुल सचदेवा जिस प्रकार से एक महिला होने के बावजूद बिजनेस को बहुत अच्छे से संभाल रही हैं मैं इसकी प्रशंसा करती हूं, जिसमें उनकी बेटी ट्विंकल सचदेवा भी उनका हाथ बताती हैं.

Tags: Aligarh news, Uttarpradesh news

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