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अलीगढ़ के डॉक्टरों ने किया कमाल, 5 महीने के मासूम के दिल-फेफड़ों को 110 मिनट रोककर दिया जीवनदान

Aligarh News: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थित जेएनएमसी के कार्डियो थोरासिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने 5 महीने के एक बच्चे के दिल और फेफड़े को 110 मिनट तक रोक सफल ऑपरेशन किया.

Aligarh News: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थित जेएनएमसी के कार्डियो थोरासिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने 5 महीने के एक बच्चे के दिल और फेफड़े को 110 मिनट तक रोक सफल ऑपरेशन किया.

Aligarh News: जवाहरलाल नेहरू मेडिकल के डॉक्टरों द्वारा किया गया यह ऑपरेशन बहुत ही रेयर किस्म का था. डॉक्टरों के मुताबिक ...अधिक पढ़ें

अलीगढ़. उत्तर प्रदेश स्थित प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (JNMC) के कार्डियो थोरासिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने 5 महीने के एक बच्चे के दिल और फेफड़े को 110 मिनट तक रोक सफल ऑपरेशन किया. दरअसल हाथरस जिले का रहने वाला मुस्तकीम के दिल में पैदाइशी छेद था और उसके शरीर में खून की नसें भी उल्टी होकर निकल रही थी, ऐसे में डॉक्टरों ने यह बेहद जटिल ऑपरेशन करके उसे नया जीवनदान दिया.

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा किया गया यह ऑपरेशन बहुत ही रेयर किस्म का था. डॉक्टरों के मुताबिक, 5 महीने के मुस्तकीम के दिल में जन्म के वक्त ही सुराख था, जिससे उसकी जान को गंभीर खतरा था. उनका कहना है कि बच्चे के तीन महीने के होने से पहले ही यह ऑपरेशन हो जाना चाहिए था. ऐसे में वक्त बीतने के साथ ही मामला थोड़ा पेचीदा हो गया था. इसी कारण डॉक्टरों ने उसके सफल ऑपरेशन के लिए 110 मिनट तक उसके दिल की धड़कनों और फेफड़ों की हरकत को रोके रखा.

इस ऑपरेशन के जरिये नया कीर्तिमान स्थापित करने वाले जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का कहना है कि यह पल उनके लिए एक अचीवमेंट है. तो वहीं बच्चे के सफल ऑपरेशन के बाद उसे परिवारवालों ने भी खुशी का इजहार किया और डॉक्टरों का धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने परिवार में दोबारा खुशियां लौटा दी हैं.

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जेएनएमसी के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद आजम हसीन ने मुस्तकीम की सफल सर्जरी की जानकारी देते हुए कहा कि हाथरस जिला निवासी मुस्तकीम के दिल में जन्म से ही छेद होने के साथ उसके दिल से निकलने वाली खून की नशें भी उल्टी दिल में लगी हुई थीं. जिसको डॉक्टरों की भाषा में ट्रांसपोजिशन ऑफ द ग्रेटर आर्टरीज कहा जाता है, लेकिन इस तरह के बच्चों की सर्जरी जन्म के वक्त जल्द से जल्द ही हो जानी चाहिए.

वहीं बच्चे के परिवार का कहना है कि उन्हें जब इस बीमारी का पता चला तो उसे इलाज के लिए ले दिल्ली ले गए थे, लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी उसका इलाज नहीं हो पाया. इसके बाद वे बच्चे को अलीगढ़ के जेएनएमसी लेकर पहुंचे, जहां बच्चे को नया जीवन मिल गया.

डॉक्टर हसीन ने बताया कि ऑपरेशन के वक्त बच्चे का वजन मात्र 3 किलो था. इतने छोटे बच्चे की सर्जरी करना काफी चुनौतीपूर्ण था. सफल ऑपरेशन के बाद बच्चे को उसके परिजनों को सुपुर्द कर डिस्चार्ज कर दिया गया है.

बता दें कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में 5 महीने के मुस्तकीम की यह पूरी सर्जरी बिल्कुल फ्री की गई है, जबकि किसी अन्य प्राइवेट अस्पताल में इस ऑपरेशन के लिए 5 से 6 लाख रुपये का खर्च पहुंच जाता है.

Tags: Aligarh Muslim University, Doctor, Uttar pradesh news

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