अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी शनिवार को योग गुरु स्वामी रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण का हालचाल पूछने पतंजलि योगपीठ हरिद्वार पहुंचे. आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात के बाद महंत नरेंद्र गिरी ने बताया कि निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पर चर्चा हुई है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा. नरेंद्र गिरी के मुताबिक अखाड़ों में धर्म के प्रचार प्रसार के लिए महामंडलेश्वर बनाए जाने की परंपरा है.
या शुभ मुहूर्त में पट्टा अभिषेक कर साधु-संतों की मौजूदगी में महामंडलेश्वर की पदवी दी जाती है. इस दौरान अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष
सनातन परंपरा में संन्यासी बनना सबसे कठिन कार्य है. शिक्षा, ज्ञान और संस्कार के साथ सामाजिक स्तर को ध्यान में रखते हुए संन्यासी को महामंडलेश्वर जैसे पद पर बिठाया जाता है. साधारण संत को महामंडलेश्वर जैसे पद पर पहुंचने के लिए योग्य होना जरूरी है.
जानकारी के मुताबिक बहुत पहले साधु-संतों की मंडलियां चलाने वालों को मंडलीश्वर कहा जाता था. 108 और 1008 की उपाधि वाले संत के पास वेदपाठी विद्यार्थी होते थे. अखाड़ों के संतों का कहना है कि ऐसे महापुरुष जिन्हें वेद और गीता का अध्ययन हो, उन्हें बड़े पद के लिए नामित किया जाता था.
1. साधु संन्यास परंपरा से हो.
3. अखाड़ा कमेटी निजी जीवन की पड़ताल से संतुष्ट हो.
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FIRST PUBLISHED : August 31, 2019, 11:28 IST