इलाहाबाद हाईकोर्ट ने AU कुलपति को अवमानना का दोषी माना
प्रयागराज. हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad University) के कुलसचिव को अवमानना का दोषी करार दिया है. कोर्ट ने आरोप निर्मित कर 31 मार्च तक सफाई मांगी है. कुलसचिव नरेंद्र कुमार शुक्ल (Vice Chancellor Narendra Kumar Shukla) पर जानबूझकर अदालत की अवमानना का आरोप है. अब इस मामले अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी. यह आदेश जस्टिस सरल श्रीवास्तव की एकल पीठ ने याची हरेंद्र प्रताप सिंह व 30 अन्य की अवमानना याचिका पर दिया.
दरअसल, विश्वविद्यालय ने दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के तहत पत्राचार पाठ्यक्रम शुरू किया था. 2016-17 के बजट से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वेतन मद से 6 करोड़ की कटौती कर ली. जिसके कारण अध्यापकों व स्टाफ की सेवाएं रोक दी गई. जिसके बाद अध्यापकों व स्टाफ ने हाईकोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने विश्वविद्यालय के जवाब के बाद याचियों को वेतन भुगतान करने का आदेश दिया. यह आदेश रेखा सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में दिया गया.
कोर्ट ने कही ये बात
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी है. कोर्ट ने भारत सरकार से जानकारी मांगी, लेकिन कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया और लंबे समय से अपील लंबित है. जिसके बाद कोर्ट ने कुलसचिव को अनुपालन रिपोर्ट के साथ तलब किया था. हलफनामा दाखिल कर कुलसचिव ने फंड की कमी के चलते आदेश पालन करने में असमर्थता जताई . उन्होंने कहा कि अवमानना याचिका की सुनवाई विशेष अपील के आदेश तक स्थगित रखी जाये. कोर्ट ने यह मांग मानने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय ने याचिका की सुनवाई कर रही पीठ के समक्ष यह बात नहीं कही कि उसे वेतन मद में अनुदान नहीं मिल रहा. सेल्फ फाइनेंस स्कीम से वेतन भुगतान किया जा रहा है. केवल यह कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वेतन मद से कटौती कर ली है. जबकि तथ्य है कि याचियों से काम लिया गया और अवैध तरीके से वेतन भुगतान नहीं किया गया. कोर्ट ने आगे कहा कि ग्रांट नहीं मिलने के आधार पर वेतन भुगतान करने से इनकार नहीं किया जा सकता.
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