प्रेम विवाह करने वाले जोड़े को HC से मिली बड़ी राहत, अपहरण की FIR रद्द

प्रेम विवाह करने वाले जोड़े को HC से मिली बड़ी राहत (file photo)
याची के अधिवक्ता आशुतोष गुप्ता का कहना था कि याची बालिग है और उसने अपने मर्जी से मोनू से शादी (Marriage) की है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 29, 2020, 7:18 AM IST
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रेम विवाह (Love Marriage) करने वाले जोड़े के खिलाफ परिवार वालों द्वारा दर्ज कराई गई अपहरण की प्राथमिकी रद्द कर दी है. कोर्ट ने कहा कि इनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से किसी अपराध का होना प्रतीत नहीं होता है इसलिए प्राथमिकी और उसके तहत की गई अन्य कार्यवाही रद्द की जाती है. मथुरा की लक्ष्मी और सोनू की याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की पीठ ने सुनवाई की.
दरअसल याची लक्ष्मी के पिता ने मथुरा के फराह थाने में दो मार्च 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उनकी लड़की लक्ष्मी को मोनू भगा ले गया है. तब से उन दोनों का कुछ पता नहीं चल रहा है. याची के अधिवक्ता आशुतोष गुप्ता का कहना था कि याची बालिग है और उसने अपने मर्जी से मोनू से शादी की है. और उनका विवाह गाजियाबाद के विवाह पंजीकरण अधिकारी के यहां पंजीकृत भी है.
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सरकारी अधिवक्ता ने भी इस बात का विरोध नहीं किया कि लड़का और लड़की दोनों बालिग हैं. कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में याचीगण के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है. कोर्ट ने प्राथमिकी रद्द कर दी है. बता दें यूपी में विधानसभा उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने का ऐलान किया था. दरअसल पहले स्टेट लॉ कमीशन ने अपनी भारी-भरकम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने बाकायदा इसकी रूपरेखा तैयार कर न्याय एवं विधि विभाग से अनुमति ली.
दरअसल याची लक्ष्मी के पिता ने मथुरा के फराह थाने में दो मार्च 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उनकी लड़की लक्ष्मी को मोनू भगा ले गया है. तब से उन दोनों का कुछ पता नहीं चल रहा है. याची के अधिवक्ता आशुतोष गुप्ता का कहना था कि याची बालिग है और उसने अपने मर्जी से मोनू से शादी की है. और उनका विवाह गाजियाबाद के विवाह पंजीकरण अधिकारी के यहां पंजीकृत भी है.
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सरकारी अधिवक्ता ने भी इस बात का विरोध नहीं किया कि लड़का और लड़की दोनों बालिग हैं. कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में याचीगण के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है. कोर्ट ने प्राथमिकी रद्द कर दी है. बता दें यूपी में विधानसभा उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने का ऐलान किया था. दरअसल पहले स्टेट लॉ कमीशन ने अपनी भारी-भरकम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने बाकायदा इसकी रूपरेखा तैयार कर न्याय एवं विधि विभाग से अनुमति ली.