प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपने एक आदेश में कहा कि किसी को पासपोर्ट (Passport) जारी करने से इस आधार पर नहीं रोका जा सकता है कि केस से बरी हो जाने के बाद उस व्यक्ति के खिलाफ सरकार की अपील लंबित है. कोर्ट ने कहा कि एक बार बरी हो जाने के बाद उसको तब निर्दोष माना जाना जाएगा, जब तक कि अपील में बरी होने का आदेश पलट नहीं जाता. यह फैसला जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस विक्रम डी चौहान की बेंच ने प्रमोद कुमार राजभर की याचिका को मंजूर करते हुए दिया.
केस से बरी होने के बाद याची प्रमोद कुमार राजभर ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था. लेकिन उसकी इस अर्जी पर विचार नहीं किया गया. क्योंकि सत्र न्यायालय से आपराधिक केस में बरी होने के बाद सरकार ने अपील की है। जो अभी विचाराधीन है. याची के खिलाफ वर्ष 2014 एक लड़की के साथ रेप का मुकदमा चला. सत्र न्यायाधीश ने उसको इस केस में दिसंबर, 2020 में बरी कर दिया था.
इसके बाद उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था. लेकिन उसके आवेदन पर विचार नहीं किया गया. हाईकोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट एक्ट के अंतर्गत पासपोर्ट जारी न करने का जो आधार दिया गया है, उसमें याची का केस नहीं आता है. कोर्ट ने निर्देश जारी किया कि विपक्षी 3 महीने में पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया पूरी करें.
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