बाहुबली विधायक विजय मिश्रा (File photo)
प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के भदोही (Bhadohi) के ज्ञानपुर से बाहुबली विधायक विजय मिश्रा (MLA Vijay Mishra) को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से बड़ा झटका लगा है. वाराणसी की महिला सिंगर से रेप (Rape) के मामले में भदोही के विधायक विजय मिश्रा व अन्य की गिरफ्तारी पर रोक और एफआईआर रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला संज्ञेय अपराध का प्रतीत होता है, इसलिए एफआईआर में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है. विधायक विजय मिश्रा पहले से ही आगरा जेल में हैं, जबकि केस के अन्य आरोपी फरार हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने विधायक विजय मिश्रा, विष्णु मिश्रा व विकास मिश्रा की याचिका पर दिया है.
आरोप- 2014 से कर रहे रेप, अश्लील फोटो और वीडियो भी बनाया
एफआईआई के अनुसार पीड़ित महिला ने भदोही के गोपीगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है. पीड़िता का आरोप है कि विधायक उसका वर्ष 2014 से यौन शोषण कर रहे हैं. उसे डरा-धमका कर कई बार उन्होंने दुष्कर्म किया. उसकी अश्लील फोटो और वीडियो बना ली है और उसके आधार पर यौन शोषण करते आ रहे हैं. पीड़िता ने विधायक के पुत्र विष्णु मिश्र और उसके साथी विकास मिश्र पर भी सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया है.
बचाव पक्ष ने कहा- ब्लैकमेल करना है आदत
बचाव पक्ष की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी और लोकेश कुमार द्विवेदी ने पक्ष रखा. उनकी दलील थी कि प्राथमिकी काफी विलंब से दर्ज कराई गई है. घटना 2014 की है. इससे जाहिर है कि जो हुआ उसमें पीड़िता की सहमति थी. पीड़िता के अन्य लोगों से भी शारीरिक संबंध हैं. उसने पहले भी कई लोगों के खिलाफ इस प्रकार की शिकायतें दर्ज कराई हैं. इससे जाहिर है कि समाज के प्रभावशाली लोगों के खिलाफ झूठी शिकायत कर उनको ब्लैकमेल करना पीड़िता की आदत है.
सरकार की तरफ से दी गई दलील
प्रदेश सरकार के अधिवक्ता जेके उपाध्याय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि प्राथमिकी दर्ज कराने में जो देरी हुई है, उसकी वजह पीड़िता ने स्पष्ट की है. उसे डराया-धमकाया गया था और कहा गया कि उसकी अश्लील तस्वीरों को वायरल कर दिया जाएगा. इस स्थिति में प्राथमिकी में विलंब का अभियोजन पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा. पहले भी अन्य लोगों के खिलाफ ऐसी शिकायतें दर्ज कराने की बात है.
कोर्ट ने खारिज की याचिका
अदालत ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कराने में हुए विलंब का पीड़िता ने स्वयं स्पष्टीकरण दिया है कि उसे डराया-धमकाया गया था और अश्नलील वीडियो क्लिपिंग बनाई थी. पीड़िता को अपने साथ होने वाले अपराध की शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है. अदालत ने याचिका में राहत देने का कोई आधार न पाते हुए इसे खारिज कर दिया है.
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