CAA हिंसा: आरोपियों के पोस्टर चस्पा करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आज

CAA हिंसा के आरोपियों के पोस्टर-बैनर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट आज फैसला सुनाएगा. (फाइल फोटो)
CAA के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी. योगी सरकार ने हिंसा के आरोपियों के पोस्टर-बैनर चौक-चौराहे पर लगाने का फैसला किया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की है.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: March 9, 2020, 7:50 AM IST
प्रयागराज. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हुई हिंसा के दौरान तोड़फोड़ करने वालों का सार्वजानिक स्थलों पर पोस्टर लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में रविवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को हतोत्साहित करने के लिए यह कार्रवाई की गई है. इसके बाद कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सोमवार (9 मार्च) को कोर्ट इस पर अपना फैसला सुनाएगी.
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई का फैसला किया था. चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस राकेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने इस मामले में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे और डीएम अभिषेक प्रकाश को तलब किया था.
हाईकोर्ट ने लखनऊ के डीएम और डिविजनल पुलिस कमिश्नर को रविवार सुबह 10 बजे हाईकोर्ट को यह बताने का निर्देश दिया है कि कानून के किस प्रावधान के तहत इस प्रकार का पोस्टर लगाया जा रहा है. रविवार को छुट्टी होने के बावजूद अदालत सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा है कि पोस्टर्स में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत पोस्टर्स लगाए गए हैं. हाईकोर्ट का मानना है कि पब्लिक प्लेस पर सम्बंधित व्यक्ति की अनुमति बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है. यह राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है.
ये है मामलाबता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ 19 दिसम्बर को ठाकुरगंज और कैसरबाग क्षेत्र में हुई हिंसा के आरोपियों के खिलाफ एडीएम सिटी (पश्चिम) की कोर्ट से वसूली आदेश जारी हुआ है. मामले में जिलाधिकारी (लखनऊ) अभिषेक प्रकाश ने कहा कि हिंसा फैलाने वाले सभी जिम्मेदार लोगों के लखनऊ में पोस्टर व बैनर लगाए गए हैं. उन्होंने कहा सभी की संपत्ति की कुर्क की जाएगी. सभी चौराहों पर ये पोस्टर लगाए गए हैं, जिससे उनके चेहरे बेनकाब हो सकें.

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बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई का फैसला किया था. चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस राकेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने इस मामले में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे और डीएम अभिषेक प्रकाश को तलब किया था.
हाईकोर्ट ने लखनऊ के डीएम और डिविजनल पुलिस कमिश्नर को रविवार सुबह 10 बजे हाईकोर्ट को यह बताने का निर्देश दिया है कि कानून के किस प्रावधान के तहत इस प्रकार का पोस्टर लगाया जा रहा है. रविवार को छुट्टी होने के बावजूद अदालत सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा है कि पोस्टर्स में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत पोस्टर्स लगाए गए हैं. हाईकोर्ट का मानना है कि पब्लिक प्लेस पर सम्बंधित व्यक्ति की अनुमति बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है. यह राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है.
ये है मामलाबता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ 19 दिसम्बर को ठाकुरगंज और कैसरबाग क्षेत्र में हुई हिंसा के आरोपियों के खिलाफ एडीएम सिटी (पश्चिम) की कोर्ट से वसूली आदेश जारी हुआ है. मामले में जिलाधिकारी (लखनऊ) अभिषेक प्रकाश ने कहा कि हिंसा फैलाने वाले सभी जिम्मेदार लोगों के लखनऊ में पोस्टर व बैनर लगाए गए हैं. उन्होंने कहा सभी की संपत्ति की कुर्क की जाएगी. सभी चौराहों पर ये पोस्टर लगाए गए हैं, जिससे उनके चेहरे बेनकाब हो सकें.
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