CPCB की चेतावनी- यूपी में पीने और नहाने योग्य नहीं है गंगाजल
सीपीसीबी ने अपनी बेबसाइट पर एक मैप भी जारी कर उन स्थानों को चिन्हित किया है जिन शहरों में गंगा का पानी पीने और नहाने योग्य है.
News18 Uttar Pradesh
Updated: September 7, 2018, 12:28 PM IST
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Updated: September 7, 2018, 12:28 PM IST
गंगा की सफाई पर अरबों रुपये खर्च होने के बाद भी यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में मोक्षदायिनी गंगा का जल पीने और नहाने योग्य नहीं है. केंद्रीय प्रदूषण मियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने ऑनलाइन चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि किन शहरों में गंगा का पानी पीने और नहाने योग्य है और किन शहरों में नहीं है. सीपीसीबी ने अपनी बेबसाइट पर एक मैप भी जारी कर उन स्थानों को चिन्हित किया है जिन शहरों में गंगा का पानी पीने और नहाने योग्य है.
सीपीसीबी के मुताबिक उत्तराखण्ड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक लगभग सभी प्रमुख शहरों में गंगा का पानी पीने के योग्य है. जबकि यूपी में बिजनौर और गढ़मुक्तेश्वर दो स्थानों को छोड़कर पूरे प्रदेश में गंगा जल पीने और नहाने योग्य ही नहीं है. अनूपशहर में गंगा जल में बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमाण्ड (बीओडी) निर्धारित मानकों से अधिक पायी गई है. जबकि नरौरा में बीओडी के साथ-साथ पीएएच वैल्यू भी ज्यादा है. इसी तरह अलीगढ़ के कछला घाट पर भी पीएएच वैल्यू निर्धारित मात्रा से ज्यादा पायी गई है. कन्नौज में गंगा में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम मिली है. जबकि बीओडी का स्तर अधिक है. कमोवेश यही स्थिति कानपुर, बिठूर, शुक्लागंज, गोलाघाट, जाजमऊ, बिरसा, डलमऊ, इलाहाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, बक्सर, पटना, फतुहा, बाढ़, मुंगेर, सुल्तानगंज, कहलगांव, राजमहल और इससे आगे पश्चिम बंगाल में भी है.
लेकिन आश्चर्य ये है कि सीपीसीबी ने यूपी और बिहार सीमा के नजदीक आरा, छपरा रोड ब्रिज के नजदीक गंगा जल को पीने के योग्य बताया है. वहीं इलाहाबाद में जब न्यूज 18 की टीम में संगम में गंगा जल का जायजा लिया तो यहां पर घाटों पर काफी गंदगी मिली और बाढ़ के चलते गंगा का पानी मटमैला और दूषित भी नजर आया. घाटों पर लोग स्नान करते नजर आए, तो वहीं घाटों पर ही मवेशी और पालतू पशु भी नजर आए, जिन्हें रोकने-टोंकने वाला कोई नहीं था. हांलाकि घाटों पर बैठे तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि गंगा में करोड़ों हिन्दुओं की आस्था है. लोग श्रद्धा और विश्वास के साथ संगम आते हैं. यहां आकर गंगा जल से आचमन करने के साथ आस्था की डुबकी भी लगाते हैं.
तीर्थ पुरोहित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ऑनलाइन चेतावनी पर तो कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि बारिश के बाद गंगा का जल अब पूरी तरह से साफ हो चुका है और पीने के भी योग्य है. तीर्थ पुरोहितों ने न्यूज 18 के कैमरे के सामने गंगा जल से आचमन किया और उसका पान करके भी दिखाया.गौरतलब है कि 2014 से अब तक 3867 करोड़ रुपए गंगा की सफाई में खर्च हो चुके हैं. जबकि 17484.97 करोड़ रुपए गंगा की सफाई के लिए खर्च होना है.
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सीपीसीबी के मुताबिक उत्तराखण्ड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक लगभग सभी प्रमुख शहरों में गंगा का पानी पीने के योग्य है. जबकि यूपी में बिजनौर और गढ़मुक्तेश्वर दो स्थानों को छोड़कर पूरे प्रदेश में गंगा जल पीने और नहाने योग्य ही नहीं है. अनूपशहर में गंगा जल में बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमाण्ड (बीओडी) निर्धारित मानकों से अधिक पायी गई है. जबकि नरौरा में बीओडी के साथ-साथ पीएएच वैल्यू भी ज्यादा है. इसी तरह अलीगढ़ के कछला घाट पर भी पीएएच वैल्यू निर्धारित मात्रा से ज्यादा पायी गई है. कन्नौज में गंगा में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम मिली है. जबकि बीओडी का स्तर अधिक है. कमोवेश यही स्थिति कानपुर, बिठूर, शुक्लागंज, गोलाघाट, जाजमऊ, बिरसा, डलमऊ, इलाहाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, बक्सर, पटना, फतुहा, बाढ़, मुंगेर, सुल्तानगंज, कहलगांव, राजमहल और इससे आगे पश्चिम बंगाल में भी है.
लेकिन आश्चर्य ये है कि सीपीसीबी ने यूपी और बिहार सीमा के नजदीक आरा, छपरा रोड ब्रिज के नजदीक गंगा जल को पीने के योग्य बताया है. वहीं इलाहाबाद में जब न्यूज 18 की टीम में संगम में गंगा जल का जायजा लिया तो यहां पर घाटों पर काफी गंदगी मिली और बाढ़ के चलते गंगा का पानी मटमैला और दूषित भी नजर आया. घाटों पर लोग स्नान करते नजर आए, तो वहीं घाटों पर ही मवेशी और पालतू पशु भी नजर आए, जिन्हें रोकने-टोंकने वाला कोई नहीं था. हांलाकि घाटों पर बैठे तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि गंगा में करोड़ों हिन्दुओं की आस्था है. लोग श्रद्धा और विश्वास के साथ संगम आते हैं. यहां आकर गंगा जल से आचमन करने के साथ आस्था की डुबकी भी लगाते हैं.
तीर्थ पुरोहित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ऑनलाइन चेतावनी पर तो कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि बारिश के बाद गंगा का जल अब पूरी तरह से साफ हो चुका है और पीने के भी योग्य है. तीर्थ पुरोहितों ने न्यूज 18 के कैमरे के सामने गंगा जल से आचमन किया और उसका पान करके भी दिखाया.गौरतलब है कि 2014 से अब तक 3867 करोड़ रुपए गंगा की सफाई में खर्च हो चुके हैं. जबकि 17484.97 करोड़ रुपए गंगा की सफाई के लिए खर्च होना है.
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