फूलपुर. प्रयागराज जिले की यह सीट नेहरू परिवार के कारण हमेशा कुछ खास रही है. इस लोकसभा क्षेत्र से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का खास रिश्ता रहा है. 1952 से लेकर 1962 तक नेहरू यहां से चुनाव जीते थे. जाहिर है कांग्रेस को लेकर यहां की जनता के बीच खास प्यार रहा है. लेकिन जैसे नेहरू परिवार का इस सीट से साथ छूटता गया, यह सीट भी कांग्रेस से दूर होती गई. लम्बे समय बाद 2017 में मोदी लहर इस जगह को छू पाई और जनता ने बदलाव का दामन थामा. 2017 में पहली बार इस सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की और उसके बाद से माना जाने लगा कि अब यह सीट कांग्रेस की नहीं रही. भाजपा की जीत इस बात का सर्टिफिकेट थी कि यहां की जनता भी बदलाव की नई बयार के साथ बहना चाहती है.
2017 के चुनाव के अलावा यह सीट 1962 के चुनाव के लिए भी प्रसिद्ध रही है. इस साल चुनाव में राम मनोहर लोहिया को यहां पर पराजय का सामना करना पड़ा था. इस सीट के इतिहास पर गौर किया जाए तो 1989 में बहुसन समाज पार्टी को यह सीट मिली थी. बसपा के रमाकांत पर लोगों ने विश्वास जताया था. इसके बाद 1991 में जनता दल को यहां से जीत हासिल हुई थी. इसके बाद जनता दल के विधायक रमाकांत यादव ने पार्टी को अलविदा कह दिया और समाजवादी पार्टी का हाथ पकड़ लिया. उन्हें इसका फायदा भी मिला और 1993 में उन्होंने सपा के टिकट से चुनाव जीता. 1996 में एक बार फिर कांग्रेस यहां जीत हासिल करने में कामयाब रही. रामनरेश यादव ने विधायक की सीट पर कब्जा जमाया. इसके बाद 2002 में फिर से जनता ने उन पर विश्वास जताया और फिर से उनके सिर जीत का सेहरा बांधा.
2007 में कांग्रेस के हाथ से यह सीट फिर से छिनी और समाजवादी पार्टी के हिस्से में चली गई. 2012 में भी समाजवादी पार्टी ही इस सीट पर बनी रही. पार्टी के सईद अहमद ने जीत के सिलसिले को बरकरार रखते हुए फिर से विधायक की कुर्सी हासिल की. 2017 में भाजपा के प्रवीण कुमार सिंह ने यहां पर अपनी जीत का खाता खोला. इससे पहले यहां पर भाजपा कभी भी जीत नहीं पाई थी.
मतदाता संख्या की बात की जाए तो यहां कुल मतदाता 314041 हैं. इनमें से महिला मतदाता 138541 और पुरुष मतदाता 175485 हैं. सीट के पिछले नतीजों को देखते हुए भाजपा एक बार फिर यहां पर जीत हासिल करने का सपना देख रही है.
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