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Exclusive: फलक छूने के बाद कहा, खुद पर है नाज, लोगों के तानों से हारी नहीं, पढें U19 क्रिकेटर फलक नाज की कहानी

अंडर 19 भारतीय महिला क्रिकेटर फलक नाज.

अंडर 19 भारतीय महिला क्रिकेटर फलक नाज.

Falak Mohd Nasir Naz: भारतीय टीम ने अंडर 19 टी20 महिला विश्व कप जीता है. इस जीत में प्रयागराज की रहने वाले फलक नाज का भ ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट : अमित सिंह

प्रयागराज. तेजी से बढ़ रहे प्रतिस्पर्धी युग में हर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष है. जब यही संघर्ष की प्रक्रिया निरंतरता में बदल जाती है, तब हम किसी भी लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं. अंडर 19 वर्ल्ड कप में खेलना इसी सार्थक परिश्रम का जीवंत उदाहरण है. यह कहना है अंडर-19 महिला इंडियन टीम की खिलाड़ी फलक नाज का. अभी हाल ही में भारतीय टीम ने अंडर 19 टी20 महिला विश्व कप जीता है और वह बतौर तेज गेंदबाज टीम का हिस्‍सा थीं. ऐसे में प्रयागराज के बलुआघाट की रहने वाली खिलाड़ी के घर बधाइयों का दौर जारी है.

फलक नाज ने बताया कि मैंने कभी गरीबी और आर्थिक कमियों पर अपना ध्यान ही नहीं केंद्रित किया. कारण कि मेरे सफलता के पीछे मेरे माता पिता और मेरे कोच मजबूती के साथ खड़े रहे. 10 साल की उम्र से मैंने मोहल्ले में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. यह उन दिनों की बात है, जब स्कूल में गर्मियों की छुट्टी होती थीं. मेरे साथ में पढ़ने वाले मोहल्ले के लड़के भी क्रिकेट खेलते थे. दरअसल पहले मैं छत से उनको क्रिकेट खेलते हुए देखती थी, तो मेरा भी झुकाव क्रिकेट की तरफ होने लगा. यहीं से कहानी शुरू होती है और क्रिकेटर बनने का सपना मन में बना लिया था. एक खास बात यह थी कि वह मुझे बैटिंग नहीं करने देते थे. मुझसे फील्डिंग और बोलिंग करवाते थे. इसी का नतीजा रहा कि मेरी बॉलिंग अच्छी हो गई और मैं तेज गेंदबाज बन गई.

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माता-पिता और कोच ने दिया पूरा साथ
फलक ने आगे बताया कि मेरी लगन और मेहनत को देखकर मेरे घर वाले भी मुझे प्रोत्साहित करने लगे थे, लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी कि मैं कैसे क्रिकेट सीखूं. मेरे घर पर टीवी भी नहीं था. इतना ही नहीं आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी. सीखने के लिए किसी एकेडमी में दाखिला भी नहीं मिल सकता था, बावजूद मैंने हार नहीं मानी. क्रिकेट के ककहरा को पढ़ने के लिए कई अकेडमी गई, लेकिन फीस और किट नहीं होने के कारण दाखिला नहीं ले पाई. इसी बीच मैंने कैलाश नाथ काटजू इंटर कॉलेज में पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया. यहां पर खेल टीचर अजय यादव हैं. वह मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में बच्चों को क्रिकेट सिखाते थे. 2015 में मैंने स्कूल लेवल टूर्नामेंट के लिए कॉलेज में टेस्ट दिया. अच्छी गेंदबाजी के कारण टीम में जगह मिल गई.

मोहल्ले वाले देते थे ताना
फलक ने आगे कहा कि मेरे जीवन में संघर्षों के निरंतर बनी हुई है, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. पड़ोसियों ने मुझे बहुत क्रिटिसाइज किया, ताना दिया कि लड़की होकर क्रिकेट खेलेगी. यह इसका काम नहीं है, लेकिन मैं अपने कोच के सानिध्य में क्रिकेट के मैदान में उतर चुकी थी. निरंतर सीख भी रही थी. मैंने अपने गरीबी और इन तानों को अपने ऊपर नहीं होने दिया. मेरे कोच ने बिना फीस के मुझे प्रशिक्षण दिया, जो मेरे करियर के लिए बड़ी बात है.

साइकिल से जाती थी स्टेडियम
फलक नाज ने आगे बताया कि कोच अजय यादव मेरी लगन और जुनून को देखते हुए मुझे बिना फीस के ही ट्रेनिंग देने के लिए मान गए. पिताजी ने भी ओवर टाइम करके मेरे लिए क्रिकेट किट खरीदी. इन सबके बीच सबसे अहम बात यह है कि मैं सुबह 8 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्टेडियम में क्रिकेट सीखने जाती थी. इसके बाद से वहीं से स्कूल चली जाती. फिर शाम को स्टेडियम. यह प्रक्रिया लगातार जारी रही. इसी का नतीजा है कि 2016 में मेरा सलेक्शन नेशनल लेवल में हो गया था. उसके बाद यूपी क्रिकेट एकेडमी की ओर से 2018 में आयोजित प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया.

सीनियर टीम में खेलना है सपना
फलक नाज ने कहा कि मेरा सपना टीम इंडिया में शामिल होकर देश के लिए खेलना है. सीनियर टीम में चयनित होने के लिए मैं अपनी फिटनेस पर विशेष ध्यान देती हूं. अपने कोच के सहयोग से अपनी कमियों को दूर करने का सदैव प्रयास में रहती हूं. फलक नाज वुमन क्रिकेट टीम में तेज गेंदबाजी के लिए पहचानी जाती हैं. वह 110-115 की रफ्तार से गेंद फेंकती हैं. हालांकि बल्ले पर भी फलक की पकड़ बेहतर है. एक तरह से वह ऑलराउंडर है. वर्ल्ड कप 19 के अनुभव को शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि मैंने अपने साथियों खिलाड़ियों से बहुत कुछ सीखा. बड़े मैच में प्रेशर को कैसे हैंडल किया जाता है.

लोगों को गलत साबित कर दिया
फलक की मां जीनत नूरी कहती हैं कि बेटी जब क्रिकेट खेलने जाती थी, तो लोग ताना मारते थे. मेरी बेटी ने इन सभी लोगों को गलत साबित कर दिया. उन्होंने कहा कि लड़के कर सकते हैं, तो लड़कियां भी कर सकती हैं. उनके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है.

Tags: Allahabad news, BCCI Cricket, Prayagraj News, Success Story

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