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Pollution पर इलाहाबाद HC सख्त, सरकार को दिए गंगा किनारे बसे शहरों पर साइट प्लान पेश करने के निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनावी सभाएं और रैलियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की हिदायत दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनावी सभाएं और रैलियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की हिदायत दी है.

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इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गंगा में प्रदूषण के मामले में राज्य सरकार को गंगा किनारे बसे शहरों पर साइट प्लान पेश‌ करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश में लगभग एक हजार किलोमीटर लंबी गंगा किनारे बसे 27 शहरों के दूषित गंदे पानी को गंगा में जाने से रोकने का प्लान बनाया जाना चाहिए, तभी प्रदूषण खत्म हो सकेगा. कोर्ट ने कहा यह कोई एडवर्स लिटिगेशन नहीं है. सभी गंगा को स्वच्छ रखना चाहते हैं. जनता की भी उतनी ही भागीदारी है.

कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को अधिकतम बाढ़ विंदु से 500 मीटर के भीतर निर्माण पर रोक के बावजूद हो रहे अवैध निर्माण जारी रहने को लेकर बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने प्राधिकरण के हलफनामे को यह कहते हुए वापस कर दिया कि लगे फोटोग्राफ स्पष्ट पठनीय नहीं हैं. कोर्ट ने वाराणसी में गंगा पार नहर निर्माण व काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण से गंगा घाटों के खतरे व कछुआ सेंचुरी को लेकर की गई न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता की आपत्ति को गंभीरता से लिया.

कोर्ट ने कहा कि नेचुरल कछुआ सेंचुरी को शिफ्ट करने की कोशिश समझ से परे है. कानपुर नगर, प्रयागराज व वाराणसी में नालों के बगैर शोधित गंगा में जाने व प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर भी विचार किया. याची अधिवक्ता, न्यायमित्र, केंद्र व राज्य सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,जल निगम,नगर निगम, प्रोजेक्ट कार्पोरेशन, आदि विपक्षियों की तरफ से हलफनामे दाखिल किए गए, जिन्हें क्रमवार तरीके से सेट कर अगली सुनवाई की तिथि 6जनवरी 22 को पेश करने का निर्देश दिया है. जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस अजित कुमार की पूर्णपीठ सुनवाई कर रही है.

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इससे पहले कोर्ट ने प्रयागराज में गंगा में गिर रहे नालों की स्थिति पर रिपोर्ट देने के लिए न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता, याची अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव, मुख्य स्थायी अधिवक्ता जे एन मौर्य, केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी की टीम को निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने को कहा था. साथ ही आई आई टी कानपुर नगर व आईआईटी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी रिपोर्ट मांगी थी. सभी ने रिपोर्ट दाखिल की है. अगली सुनवाई के समय कोर्ट विचार करेगी.

अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता शशांक शेखर सिंह ने कोर्ट को बताया कि प्रयागराज में 74 नालों में से 16 बंद कर दिये गये हैं. 10 अस्थायी तौर पर टैप किये गए हैं. नालों को बायो रेमेडियल से शोधित कर गंगा में जाने दिया जा रहा है. एक नई एसटीपी निर्माण की मंजूरी दी गई है. जब कि याची अधिवक्ता वी सी श्रीवास्तव का कहना था कि प्रयागराज में 83 नाले हैं. एसटीपी में क्षमता से अधिक पानी जाने व ठीक से काम न करने के कारण गंदा पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि प्लास्टिक बैग बने ही नहीं तो इस्तेमाल कैसे होगा. सरकार की ड्यूटी है रोके. न्यायमित्र ए के गुप्ता ने कहा कि प्रयागराज में 48नाले टैप नहीं हैं. जिनका बायोरेमेडियल शोधन सही तरीके से नहीं हो रहा. जितना पानी उत्सर्जित हो रहा है उसके शोधन की क्षमता से कम की एस टी पी है. उन्होंने नैनी में गंगा कछार में अवैध प्लाटिंग पर भी आपत्ति करते हुए पीडीए के अधिकारियों को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि रोक के बावजूद अवैध निर्माण जारी है. अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. दोनों तरफ से अवैध निर्माण होने से कुंभ व माघ मेला लगाना कठिन होगा. शहर में बाढ़ का खतरा बढ़ेगा.

Tags: Allahabad high court, Ganga Site Plan, Prayagraj News, UP Government High Court Directions, Uttar pradesh news

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