प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी टीईटी पास करने वाले बीएड डिग्री धारकों को पात्रता प्रमाण पत्र जारी करने पर पहले से लगाई गई रोक को बरकरार रखा है. कोर्ट ने मामले में स्थगन आदेश को बढ़ाते हुए एनसीटीई को 14 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ की सिंगल बेंच ने प्रतीक मिश्रा व चार अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.
इसके पहले कोर्ट ने 12 मई को हुई सुनवाई में राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को देखते हुए सरकार से जानकारी देने को कहा है. इसके साथ ही यूपी टेट पास करने वाले बीएड डिग्री धारकों को पात्रता प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को देखते हुए क्या सरकार ने कोई निर्देश जारी किया है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि एनसीटीई जब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं करेगी, वह कुछ नहीं कर सकती है. इस पर कोर्ट ने एनसीटीई को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई अब जुलाई में होगी. याची पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मामले में यूपी सरकार और एनसीटीई दोनों बच रहे हैं. वे स्थिति को स्पष्ट नहीं कर रहे हैं.
याची पक्ष का तर्क है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने एनसीटीई (नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजूकेशन) के 28 जून 2018 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें बीएड डिग्री धारकों को भी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए पात्र माना गया है. कहा गया कि जब नोटिफिकेशन ही रद्द कर दिया गया है तो बीएड डिग्री धारक प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने के पात्र ही नहीं रहे. लिहाजा टेट 2021 पास करने वाले बीएड डिग्री धारकों को पात्रता प्रमाण पत्र न जारी किए जाएं. कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए टेट 2021 में क्वालीफाई करने वाले बीएड डिग्री धारकों को पात्रता प्रमाण पत्र अगली सुनवाई तक न जारी करने का आदेश दिया. साथ ही परीक्षा नियामक प्राधिकारी से जानकारी देने को कहा है.
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