रिपोर्ट : अमित सिंह
प्रयागराजः वैसे तो प्रयागराज में कचौड़ी बनाने की बहुत दुकानें हैं, लेकिन यहां की “कल्लू कचोरी” की बात कुछ अलग है. यह दुकान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के होस्टल और यहां के छात्रों का बड़ा अड्डा है. सस्ते में उन्हें आराम से यहां एक वक्त का भोजन मिल जाता है. खास बात यह है कि यहां से कचौरी खाये हुए लड़के सिविल सेवाओं की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन वे अब भी यहां के स्वाद को नहीं भूले.
सुशील कुमार चौरसिया के बेटे राहुल चौरसिया बताते हैं कि दुकान जब शुरू हुई थी तब पांच रुपये में दो सब्जी और रायता के साथ पांच कचौड़ी दी जाती थी. कचौड़ी परोसने का तरीका आज भी वही है, हां बढ़ती महंगाई के साथ रेट भी बढ़े हैं. महंगाई को देखते हुए अब पांच कचौड़ी, रायता और दो सब्जी की थाली की कीमत 60 रुपये है. सब्जियां सीजन के हिसाब से बनाई जाती हैं. रोज सब्जी बदल जाती है, जबकि रविवार और गुरुवार के दिन पनीर की स्पेशल सब्जी दी जाती है.
खानपान की पुरानी दुकान
कल्लू कचौड़ी भंडार, कटरा बाजार में खानपान की काफी पुरानी दुकान है. दुकान की शुरुआत कटरा गल्ला मंडी में रहने वाले सुशील कुमार चौरसिया ने अपने घर से की थी. तकरीबन सत्तर साल के सुशील कुमार को लोग कल्लू के नाम से पुकारते थे, जिससे उनकी दुकान का नाम भी कल्लू कचौड़ी पड़ गया. नेतराम चौराहे के समीप गल्ला मंडी की संकरी गली में पहले यह छोटी सी दुकान हुआ करती थी, लेकिन आज इसका आकार व सुविधाएं बढ़ गई हैं.
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