Allahabad High Court: अखंड रामायण पाठ के फैसले को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती
प्रयागराज. यूपी की योगी सरकार द्वारा चैत्र नवरात्रि और रामनवमी के पर्व पर सरकारी स्तर पर सिद्ध पीठों और दूसरे मंदिरों में दुर्गा सप्तशती पाठ व अखंड रामायण पाठ के आयोजन कराए जाने और जिलों को इस आयोजन के लिए एक-एक लाख रुपए दिए जाने का मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया है. हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर योगी सरकार के 10 मार्च के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है. जनहित याचिका यानी पीआईएल में नोटिफिकेशन को रद्द किए जाने और इसे जारी करने वाले प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की जनहित याचिका में मांग की गई है.
याचिकाकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और सरकारी धन से धार्मिक आयोजन करना विधि विरुद्ध है. ऐसा करना संविधान के मूल भावना के भी खिलाफ है. आजमगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता राजीव यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर अदालत 28 मार्च को सुनवाई करेगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को ही जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता के वकील राकेश कुमार गुप्ता ने इस पीआईएल को सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की कोर्ट में मेंशन भी किया था. लेकिन कोर्ट मेंं समयाभाव के चलते जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी. हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए 28 मार्च की तारीख तय की है.
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