माघ मेले से पहले प्रयागराज के संगम में प्रदूषित-मटमैली हुई गंगाजल, साधु-संत नाराज

14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन से संगम तट पर माघ मेले की शुरुआत हो रही है
गंगाजल (Gangajal) के दूषित होने को लेकर लेकर साधु-संतों ने भी खासी नाराजगी जताई है. संतों ने इसे योगी सरकार (Yogi Government) को बदनाम करने की बड़ी साजिश करार दिया है, और माघ मेला (Magh Mela) शुरू होने से पहले हालात में बदलाव नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है
- News18Hindi
- Last Updated: January 9, 2021, 6:29 PM IST
प्रयागराज. संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के पर्व के साथ संगम तट पर माघ मेले (Magh Mela) की शुरुआत हो रही है. लगभग दो महीने तक चलने वाले आस्था के इस सबसे बड़े मेले में देश और दुनिया से तकरीबन पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. लेकिन मेला शुरू होने से ठीक पहले संगम और उसके आस-पास का गंगाजल (Gangajal) काफी प्रदूषित होकर आ रहा है. इतना कि, पानी का रंग कहीं लाल तो कहीं मटमैला सा नजर आ रहा है.
संगम के नजदीक काले और मटमैले गंगाजल को देखकर प्रयागराज से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया है. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस बारे में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से रिपोर्ट तलब कर ली है. पीएमओ से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद जिम्मेदार अफसरान आंकड़ों की बाजीगरी में जुट गए हैं. गंगाजल के दूषित होने को लेकर लेकर साधु-संतों ने भी खासी नाराजगी जताई है. संतों ने इसे योगी सरकार को बदनाम करने की बड़ी साजिश करार दिया है, और मेला शुरू होने से पहले हालात में बदलाव नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.
गंगाजल केवल स्नान करने योग्य, पीने और आचमन करने योग्य नहीं
दरअसल गंगा की यह हालत इसलिए हुई है क्योंकि अधिकारियों की लापरवाही के चलते नालों और सीवर का पानी बिना किसी ट्रीटमेंट से सीधे तौर पर गंगा में गिर रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप विश्वकर्मा का कहना है कि संगम का जल प्रदूषित नहीं है. लेकिन यह जल केवल स्नान करने योग्य है, पीने और आचमन करने लायक नहीं है. यहां आने वाले श्रद्धालु गंगाजल की इस हालत को देखने के बाद यहां आस्था की डुबकी लगाए बिना ही मायूस होकर व्यवस्था को कोसते हुए वापस लौट जा रहे हैं.गंगाजल को लेकर साधु-संतों की नाराजगी को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी होने पर सरकार की ओर से सभी जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने इस मामले में जांच कराए जाने की बात कही है. मौर्य ने संत-महात्माओं को मकर संक्रांति से पहले सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का भरोसा दिलाया है, और उनसे किसी तरह का विरोध नहीं करने की अपील की है. डिप्टी सीएम ने कहा है कि जिस तरह से सरकार ने वर्ष 2019 में कुंभ मेला और वर्ष 2020 में माघ मेला में साधु-संतों, श्रद्धालुओं और कल्पवासियों को निर्मल और अविरल जलधारा उपलब्ध कराई थी. उसी तरह इस बार के भी मेले में गंगाजल की सरकार उपलब्धता सुनिश्चित करेगी.
संगम के नजदीक काले और मटमैले गंगाजल को देखकर प्रयागराज से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया है. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस बारे में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से रिपोर्ट तलब कर ली है. पीएमओ से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद जिम्मेदार अफसरान आंकड़ों की बाजीगरी में जुट गए हैं. गंगाजल के दूषित होने को लेकर लेकर साधु-संतों ने भी खासी नाराजगी जताई है. संतों ने इसे योगी सरकार को बदनाम करने की बड़ी साजिश करार दिया है, और मेला शुरू होने से पहले हालात में बदलाव नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.
गंगाजल केवल स्नान करने योग्य, पीने और आचमन करने योग्य नहीं
दरअसल गंगा की यह हालत इसलिए हुई है क्योंकि अधिकारियों की लापरवाही के चलते नालों और सीवर का पानी बिना किसी ट्रीटमेंट से सीधे तौर पर गंगा में गिर रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप विश्वकर्मा का कहना है कि संगम का जल प्रदूषित नहीं है. लेकिन यह जल केवल स्नान करने योग्य है, पीने और आचमन करने लायक नहीं है. यहां आने वाले श्रद्धालु गंगाजल की इस हालत को देखने के बाद यहां आस्था की डुबकी लगाए बिना ही मायूस होकर व्यवस्था को कोसते हुए वापस लौट जा रहे हैं.गंगाजल को लेकर साधु-संतों की नाराजगी को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी होने पर सरकार की ओर से सभी जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने इस मामले में जांच कराए जाने की बात कही है. मौर्य ने संत-महात्माओं को मकर संक्रांति से पहले सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का भरोसा दिलाया है, और उनसे किसी तरह का विरोध नहीं करने की अपील की है. डिप्टी सीएम ने कहा है कि जिस तरह से सरकार ने वर्ष 2019 में कुंभ मेला और वर्ष 2020 में माघ मेला में साधु-संतों, श्रद्धालुओं और कल्पवासियों को निर्मल और अविरल जलधारा उपलब्ध कराई थी. उसी तरह इस बार के भी मेले में गंगाजल की सरकार उपलब्धता सुनिश्चित करेगी.