ट्रिपल आईटी प्रयागराज (IIIT Prayagraj) के दो होनहार युवा साइंटिस्टों ने कृषि को तकनीकी से जोड़ते हुए किसानों के लिए एक स्पेशल ड्रोन कैमरा (Agri Drone) तैयार किया है. ये ड्रोन कैमरा किसानों की फसलों को बीमारियों से बचाने में न केवल मददगार साबित होगा, बल्कि भारतीय कृषि में तकनीकी के माध्यम से नये बदलाव भी लायेगा. ट्रिपल आईटी के युवा साइंटिस्ट की इस खोज को नेशनल और इंटरनेशनल मंचों पर भी मान्यता मिल रही है और ये कई पुरस्कार भी जीत चुके हैं. इसके साथ ही साथ पीएम मोदी के स्टार्टअप योजना के लिए इस तकनीक का चयन हो चुका है.
में कृषि और विज्ञान का संगम किसानों की जिंदगी में नया बदलाव लेकर आया है. ट्रिपल आईटी के दो युवा साइंटिस्टों ने कृषि में ड्रोन कैमरा टेक्नोलाजी का प्रयोग करने का कारनामा कर दिखाया है. इस ड्रोन कैमरे की खास बात ये है कि किसानों के फसलों को कीड़े से बचाने के साथ ही बीमार फसलों पर उनके जरूरत के हिसाब से दवा का छिड़काव भी करेगा. इन छात्रों के बनायें ड्रोन कैमरे का धमाल ग्रीस में मच चुका है. इसके अलावा भारत में आयोजित कई ड्रोन प्रतियोगिता में कई जगहों पर इनाम भी पा चुके हैं.
प्रयागराज के ट्रिपल आईटी के रिसर्च स्कालर पवन कुमार खरवार और शेफाली विनोद राम टेके ने बीटेक थर्ड ईयर इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन करते हुए 2017 में इस कृषि ड्रोन कैमरे पर काम करना शुरु किया था और दो साल की कड़ी मेहनत से इसे तैयार किया है. ट्रिपल आईटी के रिसर्च स्कालर पवन के मुताबिक इस ड्रोन की मदद से किसानों को अपने पीठ पर दवा लादकर छिड़काव नहीं करना पड़ेगा. बल्कि रोग ग्रस्त फसलों पर यह ड्रोन कैमरा जरूरत के मुताबिक कीटनाशक दवा का छिड़काव करेगा. शेफाली और पवन इस ड्रोन के अलावा कई और ड्रोन पर भी काम कर रहे हैं जो भारत के कई चीजों में मददगार साबित होगा.
प्रयागराज के ट्रिपल आईटी कॉलेज में ड्रोन इन एग्रीकल्चर पर रिसर्च कर रहे पवन गाजीपुर के छोटे से गांव रेवती पुर के रहने वाले हैं. किसानों को खेती करने में किस तरह की दिक्कतें आती हैं, इस दिक्कत को दूर करने के लिए ही इन्होंने ऐसा ड्रोन तैयार किया है. इस प्रोजेक्ट में उनका भरपूर साथ दिया है रिसर्च स्कालर शेफाली जो मूलत छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं, इनके पिता पेशे से डॉक्टर हैं. शेफाली विनोद राम टेके दिल्ली के द्वारिका में रहती हैं. लेकिन इन्होंने भी किसानों के लिए कुछ अलग करने की सोची. ट्रिपल आईटी से पीएचडी कर रहे पवन और शेफ़ाली रामटेक ने पीएस 1925 नाम की कंपनी भी रजिस्टर्ड करायी है. जो पिछले चार सालों से ड्रोन पर काम कर रही है और उनकी कंपनी ने तकरीबन ऐसे क्षेत्रों का चयन किया है जो देश के ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी डीजीपी बढ़ाने की में मददगार है. किसानों के लिए बनाए गए ड्रोन को कृषि पीएस 1925 का नाम दिया है. पवन और शेफाली कहती हैं उनका ड्रोन स्मार्ट फॉगिंग में किसानों के लिए मददगार होगा. इसके जरिए किसान न केवल शिक्षित होगा बल्कि होने वाली परेशानियों में खेती बेहतर करने के लिए त्वरित निर्णय भी ले सकेगा. इस ड्रोन की मदद से किसानों को फसलों में लगने वाले रोगों की जानकारी भी सही समय पर पता चल सकेगा और खेत का कौन सा हिस्सा स्वस्थ्य है और कौन सा रोग ग्रस्त ये भी पता कर सकेंगे.
इनके इस शोध को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिली है. इस प्रोजेक्ट को इन्होंने सितम्बर 2019 में बंगलौर में बोइंग बिल्ड प्रोग्राम में प्रेजेन्ट किया था. जिसमें टॉप सिक्स में सेलेक्ट होने पर दस हजार यूएस डॉलर का पुरस्कार जीता था. इसके बाद सिस्को ग्लोबल प्राब्लम में जनवरी 2020 में भी प्रेजेन्ट किया। जिसमें भी दस हजार यूएस डॉलर का पुरस्कार जीता था. यहीं पर इस खोज को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान और मान्यता मिली और कई एमओयू भी हुए. इसके साथ ही एक लाख रुपये की फेसबुक बिजनेस ग्रांट भी इस प्रोजेक्ट को मिल चुकी है. दोनों युवा साइंटिस्ट पीएम मोदी से विज्ञान भवन दिल्ली में मिल चुके हैं. जबकि राष्ट्रपति से भी राष्ट्रपति भवन में मुलाकात कर चुके हैं.
वहीं ट्रिपल आईटी के डॉयरेक्टर प्रो. पी नागभूषण अपने संस्थान के इन होनहार युवा साइंटिस्ट के इस खोज से बेहद उत्साहित हैं. उनके मुताबिक 2018 में कनाडा इंडिया एक्सीलेरेशन प्रोग्राम में टॉप टेन स्टार्ट अप सेलेक्ट हो चुके हैं. उनके मुताबिक ये प्रोजेक्ट पीएम मोदी के स्टार्टअप इंडिया से भी कनेक्ट है और इस तकनीक का मॉस प्रोडक्शन होने से किसानों को काफी फायदा होगा.
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FIRST PUBLISHED : March 07, 2021, 11:20 IST