रिपोर्ट : अमित सिंह
प्रयागराज. यूपी के प्रयागराज में चल रहे भव्य माघ मेला अब विराम की स्थिति में है. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर बसी तंबुओं की नगरी अब धीरे-धीरे उजड़ रही है. लाखों श्रद्धालु संत महात्मा और कल्पवासी अब अपने गंतव्य की ओर रवाना होने लगे हैं. वहीं, नम आंखों के बीच कल्पवासियों का कहना है कि गंगा मैया का आशीर्वाद रहा तो अगले बरस फिर आएंगे.
प्रयागराज के संगम तट पर आस्था के लिए तंबुओं की नगरी में माघ महीने का आध्यात्मिक उल्लेख है, जहां लाखों-करोड़ों संत और कल्पवासी मां गंगा की गोद में कल्पवास करते हैं. वहीं, फाल्गुनी कर्मयोग लगने से त्रिजटा स्नान पर कल्पवासियों और साधु-संतों ने आस्था की डुबकी भी लगाई. मान्यता है कि त्रिजटा स्नान के बाद ही कल्पवास को पूर्ण माना जाता है. ऐसा करने के बाद ही हमें पुण्य फल की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि कल्पवासी माघी पूर्णिमा स्नान के बाद कल्पवास को पूर्ण करने के लिए 3 दिन और रुक का स्नान करते हैं. इसके बाद ही संगम क्षेत्र को छोड़कर जाते हैं
व्यवस्था है पूरी तरह मुस्तैद
माघ मेला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. राजीव नारायण मिश्र ने बताया कि त्रिजटा स्नान के बाद माघ मेला क्षेत्र से कल्पवासियों के वाहनों को आराम से निकलने के लिए रूट निर्धारित किए गए हैं. उन्हें बिना किसी परेशानियों के वाहन बाहर निकाले जाने की व्यवस्था की गई है. मेला क्षेत्र के आने जाने वाले मार्गो पांटून पुलों और कलप्रवासी क्षेत्र में पुलिस के जवानों द्वारा विशेष सतर्कता बरती जा रही है. अधिकारियों द्वारा मेला क्षेत्र में भ्रमण किया गया और वापस जा रहे साधु-संतों, कल्पवासियों का कुशलक्षेम भी पूछा गया. इस दौरान साधु संतों ने पुलिस प्रशासनिक कार्यों की प्रशंसा की और पुलिस के प्रति आभार भी व्यक्त किया.
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