रिपोर्ट -अमित सिंह
प्रयागराज : देश के सभी साहित्य प्रेमी और अच्छा पढ़ने वालों के लिए एक अच्छी खबर है. अब उन्हें शाहनामा, उपनिषदऔर रत्नावली सहित तमाम प्रमुख कृतियां डिजिटल रूप में पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त होगा. कई बार ऐसा होता है कि हम महान कृतियों को पढ़ना चाहते हैं. लेकिन उसकी अनुपलब्धता के कारण यह संभव नहीं हो पाता है. लेकिन अब ऐसा संभव है दुर्लभ ग्रंथों को पढ़ने के शौकीन इसे कंप्यूटर स्क्रीन पर आराम से पढ़ सकेंगे.
प्रयागराज स्थित राजकीय पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकों को डिजिटाइज किया जा रहा है. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र इन सैकड़ों साल पुराने दुर्लभ पुस्तकों को संरक्षित कर रहा है. तमाम पुस्तकों को डिजिटाइज किया जा चुका है. संरक्षण के लिए पुस्तकों की फायरप्रूफ बाइंडिंग भी की जा रही है. पुस्तकालय के दुर्लभ ग्रंथों के साथ नाटिका और पेंटिंग को भी संरक्षित किया जा रहा है.
डिजिटाइज करने पर ढाई करोड़ खर्च होगा
160 साल पुराने देश के टॉप टेन पुस्तकालय में शुमार राजकीय पुस्तकालय के प्रमुख डॉक्टर गोपाल मोहन शुक्ला ने बताया कि दुर्लभ पुस्तकों के संरक्षण और डिजिटाइज करने पर ढाई करोड़ खर्च होगा. प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड में लगने वाले महाकुंभ से पहले पुस्तके संरक्षित कुमार डिजिटाइज हो जाएंगी. वही प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मिशन मैनेजर संजीव सिन्हा ने बताया कि सैकड़ों साल पुरानी पुस्तकों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ले जाने और वहां से ले आने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पुस्तकें फायरप्रूफ केस में भेजी और लाई जाती है
फिलहाल अभी ऑनलाइन नहीं
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में संरक्षित और डिजिटाइज होने वाली सैकड़ों वर्ष पुरानी पुस्तकें फिलहाल अभी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं होंगे . इन पुस्तकों को राजकीय पुस्तकालय में कंप्यूटर स्क्रीन पर ही पढ़ा जा सकेगा . पुस्तकालय के प्रमुख डॉ गोपाल मोहन शुक्र ने बताया कि पुस्तकों को ऑनलाइन पढ़ने के लिए नियमावली बनाई जाएगी. सभी पुस्तकें मेटा डाटा पर ही उपलब्ध होंगी.
संरक्षण स्वीकृति के लिए चुनौती
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने यूंही राजकीय पुस्तकालय की दुर्लभ पुस्तकों को संरक्षित करने की जिम्मेदारी नहीं ली है . पुस्तकालय प्रबंधन और प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने पुस्तकों के संरक्षण को लेकर केंद्र प्रशासन से पहले बात की बातचीत में साफ कह दिया गया कि पहले केंद्र विशेषज्ञ पुस्तकों को देखेंगे इसके बाद केंद्र के विशेषज्ञ अचला पांडे नई दिल्ली से प्रयागराज आई और संरक्षण के लिए पुस्तकों को चिन्हित करके देखा. विशेषज्ञों को सभी पुस्तक के मूल स्वरूप में मिली तब जाकर संरक्षण की स्वीकृति प्रदान की गई.
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