रिपोर्ट : अमित सिंह
प्रयागराज : देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के संसदीय क्षेत्र फूलपुर के तारडीह गांव में इन दिनों कुछ दिनों से अजीबोगरीब मामला देखने को मिला है. इस गांव में लगभग 200 वर्ष पुराना एक पीपल का वृक्ष था, जिसे ग्रामवासी ‘वीर बाबा’ का दर्जा देते हुए पूजा किया करते थे. हफ्ते भर पहले इस वृक्ष में खुद ब खुद आग लग गई. आनन फानन में दमकल को सूचना दी गई. मौके पर पहुंचकर दमकल विभाग ने आग बुझाते हुए नियंत्रण कर लिया.
खास बात यह रही कि आग बुझने के बाद दूसरे दिन दोबारा आग लग गई. एक बार फिर से दमकल की घंटी गांव में घनघनाने लगती है. गजब तो तब हो जाता है जब दूसरी बार आग बुझाने के बाद भी तीसरी बार भी आग लग जाती है. इस प्रक्रिया में दमकल विभाग भी बेहद परेशान नजर आता है. वही ग्रामीणों का मानना है कि इस प्रक्रिया में ईश्वरी चमत्कार है. पहलवान वीर बाबा किसी बात को लेकर नाराज हैं और जब तक उन्हें शांत नहीं किया जाएगा तब तक यह आग जलती रहेगी.
पेड़ गिरने पर आई थी जोर की आंधी
अभी तक आपने फिल्मों में देखा होगा किसी धार्मिक स्थान पर किसी वृक्ष के टूटने गिरने पर आंधी तूफान आते हैं, लेकिन ये घटना हमें इसी गांव में देखने को मिला. तारडीह गांव के रहने वाले धर्मेंद्र रावत ने बताया कि जिस दिन पेड़ अपने मूल स्वरूप से टूटकर नीचे गिरा था, उस दिन गांव में भयंकर आंधी और तूफान आया था. इसे संयोग कहें या फिर कोई चमत्कार लेकिन जिस वक्त वृक्ष फटा उसके तुरंत बाद ही तेज हवाएं चलने लगी और इसकी गति में भी इजाफा भी होता रहा.
हफ्ते भर में तीन टैंकर पानी खत्म
दमकल विभाग के चालक ने बताया कि 17 फरवरी को सुनील पांडे के द्वारा करीब शाम सात बजे उन्हें सूचना दी गई कि उनके गांव के एक वृक्ष में आग लगी है. सूचना पर तत्काल एक्शन लेते हुए घटनास्थल पर पहुंचकर टीम ने आग पर नियंत्रण पाया. घटना के महज कुछ ही घंटों बाद सुबह फिर सूचना प्राप्त होती है की आग दोबारा रौद्र रूप धारण करने की ओर है. दूसरे दिन फिर से आग बुझाने का काम किया गया. वही 22 फरवरी को सुनील ने फिर से सूचना दी कि अभी तक आग बुझी नहीं है. हम यह कह सकते हैं कि इस प्रक्रिया के दौरान एक वृक्ष को बुझाने के लिए लगभग तीन टैंकर का पानी खर्च हो चुका है. उम्मीद है अब यह पूरी तरीके से बुझ गया होगा.
डेढ़ सौ साल पुराना है पीपल का वृक्ष
ग्राम वासियों में यह पीपल का वृक्ष आस्था का केंद्र रहता था. किसी भी शुभ काम के लिए श्रद्धालु और कृषक वर्ग यहां समय-समय पर पूजन अर्चन किया करते थे. गांव के निवासी ‘मुखिया बाबा’ ने बताया कि यह वृक्ष लगभग डेढ़ सौ वर्षों से अधिक पुराना है. हम गांव के लोगों की इसमें गहरी आस्था है. बार-बार आग लगने की घटना हमें निश्चित तौर पर संदेह की ओर ले जाती है कि हमारे वीर बाबा किसी बात को लेकर नाराज हैं.
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