उमेश पाल हत्याकांड: अतीक अहमद और राजू पाल के बीच 2004 में शुरू हुई थी जंग
प्रयागराज. 25 जनवरी 2005 को तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल की शुक्रवार शाम बेखौफ बदमाशों ने बम और ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर हत्या कर दी. इस दुस्साहसिक वारदात में उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात गनर संदीप निषाद की भी मौत हो गई, जबकि एक अन्य सिपाही राघवेंद्र सिंह की हालत गंभीर हुई बनी हुई है. उमेश पाल की हत्या का आरोप साबरमती जेल में बंद बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद पर लगा है. 19 साल पहले शुरू हुई इस जंग में कईयों की जान जा चुकी है.
उमेश पाल सपा विधायक पूजा पाल के भाई थे. 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल थे. उमेश पाल का 2007 में अपहरण कर लिया गया था और राजू पाल हत्याकांड में गवाही देने के लिए धमकाया गया था. इस मामले में उमेश पाल की ओर से धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इस मामले में बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद, उनके छोटे भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत कई अन्य को आरोपी बनाया गया था. इसी मामले की इन दिनों प्रयागराज की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस केस को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट को आदेश दिया था कि 2 महीने में ट्रायल पूरा करें.
गवाही के बाद शाम को हुई हत्या
इस केस जुड़े वकील विक्रम सिन्हा के मुताबिक अभियोजन की ओर से गवाही पूरी हो चुकी है. उमेश पाल शुक्रवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में दोपहर 2:30 बजे पहुंचे थे और शाम पौने चार बजे तक मामले की सुनवाई चली थी. उनके मुताबिक आज आरोपियों की ओर से अधिवक्ता एलपी द्विवेदी ने बहस की. आज बहस पूरी नहीं हो पाई थी और सोमवार 27 फरवरी को आगे की बहस पूरा करने के लिए उन्होंने कोर्ट से समय मांगा था. 27 फरवरी को इस मामले में आगे की बहस होनी थी. उमेश पाल अपने साथ तैनात सुरक्षाकर्मियों के साथ एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट से धूमनगंज थाना क्षेत्र में अपने घर जाने के लिए निकले थे. धूमनगंज थाना क्षेत्र में घर के सामने ही कार से उतरते ही बम और असलहे से लैस हमलावरों ने जानलेवा हमला कर दिया. यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गई है.
2004 उपचुनाव से शुरू हुई थी दुश्मनी
दरअसल, राजू पाल और अतीक के बीच जंग की शुरुआत 19 साल पहले 2004 में हुई थी. राजू पाल ने शहर पशिचम क्षेत्र में अतीक अहमद की सत्ता को चुनौती दी थी. अतीक अहमद के सांसद बनने से खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई को हराकर विधायक बने थे. 25 जनवरी 2005 को धूमनगंज क्षेत्र में राजू पाल को घेरकर गोलियों से भून दिया गया था. इस हमले में संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हुई थी. इस तिहरे हत्याकांड की जांच पहले पुलिस, सीबी सीआईडी और आखिर में सीबीआई ने की. सीबीआई की तरफ से अतीक अहमद उनके भाई समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया गया. इस मामले में अतीक अहमद अहमदाबाद जेल तो उसका भाई अशरफ बरेली जेल में बंद है.
मरते दम तक डटा रहा उमेश
18 साल बाद 24 फ़रवरी 2023 को राजू पाल की तरह ही उमेश पाल की हत्या कर दी गई. उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड का एकलौता गवाह था जो डरा नहीं और अतीक के खिलाफ मोर्चा खोले रहा. उसकी हत्या उस वक्त हुई जब उमेश पाल के अपहरण मामले में अतीक के खिलाफ सुनवाई अंतिम चरण में थी और छह हफ़्तों में फैसला आने वाला था.
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