हाईकोर्ट ने बैंक खातों में जमा पैसों को लेकर कहा कि इसकी जिम्मेदारी बैंक की भी होनी चाहिए.
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामाने एक ऐसा मामला सामने आया कि जज भी पुलिस की करतूत पर गुस्साए बिना नहीं रह सके. हाईकोर्ट ने मामले में पुलिस को फटकार लगाते हुए पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर को न्यायालय में हाजिर होने का आदेश तक दे डाला. दरअसल मामला मुजफ्फरनगर जिले के कटौली थाने का था. इस थाने के पुलिसकर्मियों ने एक व्यक्ति पर 25 साल में 49 आपराधिक मामले दर्ज किए, इनमें से अधिकतर में वह बरी हो गया और कुछ में पुलिस ने ही अपनी गलती मानते हुए केस वापस ले लिए. हालात ये तक रहे कि मानवाधिकार आयोग के पास जब मामला पहुंचा तो याची के पक्ष में पुलिस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. इसके बाद भी पीड़ित को फंसाने का सिलसिला नहीं थमा और उस पर केस दर्ज होते रहे. अब हाईकोर्ट ने मामले में आरोपित पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही पुलिस के आला अधिकारियों को कोर्ट में पेश होने के आदेश दे दिए.
खराब मानसिकता
हाईकोर्ट ने कहा कि ये पुलिस की गंदी मानसिकता दर्शाता है. पुलिस की ये हरकत याची का जीवन बर्बाद करने के लिए प्रतीत होती है. कोर्ट ने कहा कि ये केवल याची की जमानत अर्जी का मसला नहीं है. बल्कि अनुशासित पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर उठे सवालों के जवाब का है. कोर्ट ने कहा कि हर किसी के जीवन की कीमत सामान है. बीते दिन लौट कर नहीं आते हैं. जीवन पर लगे दाग किसी भी तरह के मुआवजे से धुल नहीं सकते हैं.
11 में बरी हो चुका है याची
कोर्ट के निर्देश पर याची का आपराधिक केस चार्ट पेश किया गया. इसको देखकर कोर्ट भी चौंक गया. याची पर एक ही थाने में 49 केस दर्ज होने की बात सामने आई. इनमें से वो 11 मामलों में बरी हो गया, 9 मामले खुद पुलिस ने वापस ले लिए, दो मामलों में गलती से शामिल किया गया, एक केस में NSA लगाया गया लेकिन वो रद्द हो गया. अब याची 21 मामलों में जमानत पर है और एक मामले में अग्रिम जमानत मिली है.
समझ से परे है रवैया
कोर्ट ने कहा कि पुलिस का रवैया समझ से परे है. पुलिस सुधरने की जगह और परेशान करने पर आमदा हो रही है. ये रवैया समझ से परे है, क्यों बार-बार एक ही व्यक्ति पर केस दर्ज किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि अनुशासित पुलिस बल से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि आरोपों की टोकरी जीवन में अंधकार ही लाती है. जीवन बर्बाद होता है, जिस पर रोक लगनी चाहिए. अब मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.
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