मां अहोरवा भवानी मंदिर का मुख्य द्वार
आदित्य कृष्ण
अमेठी. उत्तर प्रदेश के अमेठी में मां अहोरवा भवानी का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है. इसकी स्थापना खुद पांडवों ने की थी. देवी मां की महिमा अपरंपार है जिससे यहां दूर-दर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि मां भवानी के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है. इतना ही नहीं, अहोरवा भवानी दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं. वर्तमान समय में भी यह मंदिर भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र बना हुआ है.
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित शिवकुमार तिवारी ने बताया कि द्वापर युग में जब पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां से गुजरे थे. इस दौरान उन्होंने यहीं के जंगल में रात बिताई थी. अर्जुन को मां भवानी ने स्वप्न में दर्शन दिये थे तो उन्होंने उनसे विजयश्री का वरदान मांगा था. जब मां भवानी ने अर्जुन को वरदान किया तो पांडवों ने यहां इस मंदिर की स्थापना कराई थी. मान्यता है कि मां भवानी के आशीर्वाद से नि:संतानों को संतान की प्राप्ति होती है.
अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं माता
अहोरवा मंदिर के बारे में मान्यता है कि सुबह से शाम तक मां भवानी तीन बार अपना स्वरूप बदलती हैं. सुबह मां भवानी बाल अवस्था, दोपहर में युवावस्था और शाम से अगले दिन सुबह तक मां भवानी वृद्धावस्था में नजर आती हैं. पांडवों के द्वारा इस मंदिर की स्थापना के बाद राजा शिव बहादुर सिंह ने इस मंदिर का विस्तार करवाया था. मंदिर परिसर में ही संस्कृत महाविद्यालय भी संचालित किया जाता है.
क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित शिवकुमार तिवारी ने बताया कि द्वापर युग के इस मंदिर की प्राचीन मान्यताएं हैं. इस मंदिर को अभी तक पर्यटन स्थल के लिए घोषित नहीं किया गया है. जो भी भक्त यहां मां के दर्शन के लिए आता है उसकी हर मनोकामना मां भवानी पूरी करती हैं.
Ahorwa Bhwanihttps://maps.app.goo.gl/H1UAKTnAvMinopdj9
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