उत्तर प्रदेश के अमेठी (Amethi) में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat elections) में प्रत्याशी (Candidate) के बीच तरह-तरह की अफवाहों (Rumor) को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. एक चर्चा यह भी है कि अब आरक्षण फिर बदलेगा. ऐसे में जिला पंचायत, ब्लॉक प्रमुख और ग्राम प्रधान पद के दावेदार प्रत्याशियों की नींद उड़ी हुई है. हर कोई तरह-तरह के कयास लगा रहा है.
अमेठी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2021 के फाइनल आरक्षण सूची जारी होने पर उच्च न्यायालय की रोक के बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है. रोक के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने वालों ने अपना प्रचार-प्रसार रोक विकास भवन स्थित DPRO कार्यालय और ब्लॉक की ओर दौड़ लगाना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं दावेदार अधिकारियों और मीडियाकर्मियों से फोन पर जानकारी लेते नजर आ रहे हैं. एक तरफ जहां प्रत्याशी खुद परेशान और असमंजस की स्थित में दिख रहा है तो वहीं प्रत्याशियों के समर्थकों में भी बेचैनी होना लाजमी है. इसका असर भी दिखने लगा है. प्रचार वाहन खड़े हो गए हैं. सुबह से नाश्ते के साथ दोपहर के खाने के बाद देर रात तक चलने वाली पार्टी पर ब्रेक दिखने लगा है.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के जरिये गांव की सरकार बनाने में जुटे हुए प्रत्याशी के बीच अब तरह-तरह की अफवाहों और दावों पर चर्चा होने लगी है. एक चर्चा यह है कि अब आरक्षण फिर बदलेगा. ऐसे में प्रत्याशियों की नींद उड़ी हुई है. वहीं त्रिस्तरीय पंचायत को लेकर जो प्रत्याशी अब तक लाखों खर्च कर चुके हैं, वे मानसिक परेशानी के दौर से गुजर रहे है. यूपी के अमेठी जिले के 13 ब्लॉकों में 682 ग्राम सभाओं, क्षेत्र पंचायत सदस्य, 36 जिला पंचायत सदस्य पदों पर चुनाव संपन्न होना है.
अमेठी में राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो भाजपा, सपा और कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पूरे दमखम से तैयारी में जुटी हैं. सभी राजनीतिक पार्टियों ने पूर्व के आरक्षण के आधार पर तैयारियां की थीं. ऐसे में अब जो भी हाईकोर्ट का निर्णय होगा उसके अनुसार वे चुनाव में पूरी ताकत लगाकर जिला पंचायत में अपना अध्यक्ष बनाना चाहेंगी. हाइकोर्ट का यह नया आदेश निश्चित ही प्रत्याशियों को परेशानी में डालने वाला है. 15 मार्च के बाद ही सरकार के जबाब के बाद स्थिति साफ होगी कि गांव की सरकार कब और कैसे बनेगी.
आरक्षण की अंतिम सूची जारी होने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव की सीटों के आरक्षण की सूची जारी करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आरक्षण की अंतिम सूची जारी करने पर 15 मार्च तक की रोक लगाई है. ये रोक इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लगाई है. सीटों का आरक्षण साल 2015 में हुए चुनाव के आधार पर किए जाने की मांग की गई है. इतना ही नहीं पीआईएल में 1995 से आगे के चुनावों को आधार बनाए जाने को गलत बताया गया है. मामले में राज्य सरकार सोमवार को जवाब दाखिल करेगी. पंचायत चुनाव में आरक्षण की अंतिम सूची के प्रकाशन को लेकर सबकी नजर सोमवार पर टिकी है कि सरकार की तरफ से क्या जवाब दिया जाता है और पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट क्या निर्णय सुनाता है.
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FIRST PUBLISHED : March 14, 2021, 16:09 IST