रिपोर्ट- आदित्य कृष्ण
अमेठी. यूपी के अमेठी में किसानों की जमीन जिस शर्त पर ली गई थी कि वहां पर रोजगार के लिए कारखाना स्थापित कर वहां के लोगों को रोजगार दिया जाएगा. वही कारखाना अब हाथी का दांत साबित हो रहा है. कारखाने में सिर्फ जंगली जानवर और कीड़े मकोड़े निवास कर रहे हैं. किसानों की बेशकीमती जमीन जाने से किसानों को एक तरफ जहां बेरोजगारी की समस्या है. वही उपजाऊ जमीन जाने का दर्द भी है. किसानों की मांग है कि या तो हमारी ली गई जमीन पर कारखाना स्थापित किया जाए. या तो हमारी जमीन को वापस कर दिया जाए.
पूरा मामला जनपद अमेठी के गौरीगंज तहसील का है. जहां गौरीगंज तहसील के रामगंज कौहार गांव में 1985 में यूपीएसआईडीसी ने किसानों से जमीन कारखाना स्थापित करवाने के लिए ली थी. किसानों ने खुशी-खुशी अपनी जमीन इस शर्त पर दी की उन्हें भी शहर में ही रोजगार मिलेगा.
दो साल तक चला कारखाना
जमीन के अधिग्रहण के बाद यहां पर सम्राट बाइसिकल कारखाना स्थापित किया गया. 2 साल तक यह कारखाना चलाया गया. लेकिन सब्सिडी मिलने के बाद कारखाने के मालिक ने कारखाना बंद कर दिया और फरार हो गए. कारखाना स्थापित करने के लिए मालिक द्वारा लिए गए कर्ज को ना चुकाने के एवज में जमीन की नीलामी कर दी गई तब से लेकर आज तक इस कारखाने की शुरूआत नहीं हो सकी. अब किसानों की मांग है कि उनकी जमीन वापस किया जाए. फिर इस कारखाने को पुनः शुरू कराया जाए वर्तमान समय में यह कारखाना और जमीन राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के कब्जे में है.
200 से अधिक किसानों की गई थी जमीन
आपको बता दें कि वर्तमान समय में 64 एकड़ जमीन पर कारखाना स्थापित है. लेकिन कारखाना सिर्फ हाथी का दांत साबित हो रहा है. कारखाने के अंदर मशीनें जंग फांक रही हैं.चारों तरफ कटीली झाड़ियों और कीड़े मकोड़ों ने अपना निवास बना लिया है. आलम यह है कि कारखाने की चारदीवारी के अंदर आम जनमानस को भी प्रवेश नहीं दिया जाता.
किसानों की सुनिए
किसान लल्लन प्रसाद पाठक ने बताया कि कारखाना बंद है. सिर्फ बिल्डिंग खड़ी है. आज दिन तक कोई भी नहीं आया हम सब की मांग है. हमारी जमीन वापस कर दिया जाए या फिर यहां पर कारखाना शुरू कराया जाए. जिससे लोगों को रोजगार मिले. वही एक और किसान राजेंद्र प्रसाद पाठक ने बताया कि हमारी 7 बीघा से अधिक जमीन गई. अन्य किसानों की भी जमीन यहां पर गई या तो यहां पर कोई काम किया जाए या तो हम लोगों का खेत वापस किया जाए.
किसानों से ली गई थी जमीन
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष उमा शंकर पांडे ने बताया कि यूपीएसआईडीसी ने उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन किसानों से ली थी. इस जमीन पर सम्राट बाइसिकल का कारखाना खोला गया. सब्सिडी मिलने के बाद कारखाने के मालिक ने कारखाना बंद कर दिया. कारखाने को बंद करने के बाद कारखाने के मालिक ने कारखाने को शुरू कराने के पहले कर्ज लिया था. कर्ज ना चुकाने की दशा में उस जमीन को नीलाम कर दिया गया. वर्तमान में यहजमीन राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम है और तब से आज तक यहां कोई गतिविधि नहीं हो रही. हम सब की मांग है की या तो उस जमीन पर कारखाना लगाया जाएयातो जमीन किसानों को वापस दी जाए. किसानों के साथ घोर अन्याय किया गया है.
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Tags: Amethi news, Farmer
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