अयोध्या पर आ चुका है SC का फैसला लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर सस्पेंस बरकरार

अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राम जन्मभूमि पर फैसला तो सुना दिया लेकिन गेंद मोदी सरकार (Modi Government) के पाले में डाल दी है. केन्द्र सरकार के आला अधिकारी और मंत्री ट्रस्ट और राम मंदिर की रूप रेखा को लेकर माथापच्ची करने में लगे हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: November 15, 2019, 1:29 PM IST
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राम जन्मभूमि पर फैसला तो सुना दिया लेकिन गेंद मोदी सरकार (Modi Government) के पाले में डाल दी है. केन्द्र सरकार के आला अधिकारी और मंत्री ट्रस्ट और राम मंदिर की रूप रेखा को लेकर माथापच्ची करने में लगे हैं. मंदिर के लिए हुई लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) की रथ यात्रा के दौर से ही रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) तो मंदिर का खाका तैयार करने के दौर से ही अपने इरादे साफ कर दिए हैं. इरादा है एक भव्य राम मंदिर बनाना और अयोध्याजी को वेटिकन और येरुशलम की तर्ज पर भगवान की दिव्य नगरी बनाना.
ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने ब्राजिल जाने से पहले ही पीएम मोदी ने इस बाबत दो बैठकें कर ली है. बैठकों में आला केन्द्रीय मंत्री और अधिकारी भी शामिल रहे. सूत्र बताते हैं कि इन बैठकों में बातचीत फिलहाल किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है लेकिन संकेत हैं कि जो भी चीज पूरी होकर सामने आएगी वो दुनिया भर को संदेश देने वाली होगी. पीएम मोदी के वापस लौटते ही इसे अंतिम रूप देने के लिए बैठकों का दौर शुरू हो जाएगा.
ट्रस्ट के स्वरूप को लेकर चर्चा जारी
अब बात ट्रस्ट की. ट्रस्ट का स्वरूप कैसा हो इस पर चर्चा जारी है और दावों की झड़ी लगी है. वीएचपी के महासचिव चंपत राय 1984 से अयोध्या में डेरा डाले बैठे रहे. अब जब रामलला की जीत हुई है तो कहते हैं कि सिर्फ जो राम भक्ति करते हैं वही इस ट्रस्ट के सदस्य बने यानी सिर्फ वर्शिपर को ही जगह मिले. पूछा गया कि क्या समिति में नामी गिरामी धर्म गुरुओं को शामिल करना चाहिए, तो चंपत राय ने कहा कि वो चाहते हैं कि कोई भी निर्गुण का उपासक ट्रस्ट का सदस्य नहीं बने.
चंपत राय ने कहा कि किसी को भी आजीवन इस ट्रस्ट का सदस्य नहीं बनाया जाना चाहिए. चाहे वो यहां के पुजारी हों या फिर ट्रस्ट के सदस्य. चंपत राय ने एक और बात साफ कर दी कि किसी भी मंत्री को इसका सदस्य नहीं बनाना चाहिए. संदेश तो मोदी सरकार के लिए था. अपनी राय तो रखी लेकिन चंपत राय ये साफ करने से नहीं चूके कि गेंद अब मोदी सरकार के पाले में है कि वो कैसी समिति बनाती है. संकेत है कि सरकार एक ऐसा ट्रस्ट चाहती है जिसमें सर्वधर्म समभाव का संदेश दुनिया भर में जाए.
वीएचपी के नक्शा के अनुसार बन सकता है मंदिरवीएचपी का कहना है कि मंदिर निर्माण का 60 फीसदी काम पहले से ही पूरा हो चुका है और शिलान्यास भी 1989 में हो ही चुका है. सरकारी सूत्र बताते हैं कि शिलाएं, इंटें, खंभे और बाकी ढांचे बन कर तैयार हैं. सिर्फ एक फॉर्मूला तैयार करना है जिससे ये जल्दी से जल्दी पूरा हो जाए. सरकार इसे प्राचीन और मध्यकालिन मंदिरों की तरह बनाना चाहती है जब बिना किसी सीमेंट और प्लास्टर के आलीशान ढांचे तैयार हो जाते थे. इसलिए 30 साल पुराना वीएचपी का नक्शा ही अंतिम रूप लेगा इसके आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं.
सोमनाथ के तर्ज पर बने ट्रस्ट
बात चल रही है सोमनाथ ट्रस्ट के तर्ज पर एक ट्रस्ट बनाने की. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जो ट्रस्ट बनाया उसमें 8 सदस्य थे. इन 8 सदस्यों में 4 केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त ट्रस्टी थे और 4 गुजरात सरकार के. फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री केशूभआई पटेल इसके चेयरमैन और रिटायर्ड मुख्य सचिव पीके लाहिरी इसके सचिव हैं. मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी भी इसके सदस्य हैं. इसमें सदस्य कोई भी हो सकता है. चाहे वह नेता, उद्योगपति या सामाजिक कार्यकर्ता हों. ये ट्रस्टी पर निर्भर करता है कि वो कब तक इसका सदस्य रहेगा. यानी आजीवन भी सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी बने रह सकते हैं. कुछ इसी तर्ज पर सरकार राम मंदिर का भी ट्रस्ट बनाने की तैयारी में है.

जहां तक संसद में बिल लाने की बात है, कानून और गृह मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि इसकी जरूरत फिलहाल नजर नहीं आ रही. लेकिन संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि अगर ट्रस्ट को वित्तीय ताकत देनी पड़ी तो संसद में बिल लाना पड़ेगा. एक बार ट्रस्ट ने आकार लेना शुरू किया तो ये भी साफ हो जाएगा. अयोध्या को भी एक आलिशान और भव्य रूप देने की योजना तैयार की जा रही है.
अयोध्या की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई जाएगी
इसके तहत अयोध्या को वेटिकन और येरुशलम जैसा रूप देकर अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई जाएगी. सूत्र बताते हैं कि इसकी रूप रेखा और बनाने का जिम्मा यूपी की योगी सरकार के हवाले किया जा सकता है. साथ ही गुजरात में बनी सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ युनिटी की तर्ज पर सरयू के किनारे भगवान राम की मूर्ति भी स्थापित की जाएगी. ये मूर्ति भी अयोध्या की पहचान होगी. यानी रामजन्मभूमि के स्थान पर भव्य मंदिर के साथ-साथ पूरे के पूरे अयोध्या के कायाकल्प की योजना अंतिम रूप ले रही है. जाहिर है कि मोदी सरकार की पूरी कोशिश ये है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला और भव्य राम मंदिर का निर्माण इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक यादगार साबित हो.
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ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने ब्राजिल जाने से पहले ही पीएम मोदी ने इस बाबत दो बैठकें कर ली है. बैठकों में आला केन्द्रीय मंत्री और अधिकारी भी शामिल रहे. सूत्र बताते हैं कि इन बैठकों में बातचीत फिलहाल किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है लेकिन संकेत हैं कि जो भी चीज पूरी होकर सामने आएगी वो दुनिया भर को संदेश देने वाली होगी. पीएम मोदी के वापस लौटते ही इसे अंतिम रूप देने के लिए बैठकों का दौर शुरू हो जाएगा.
ट्रस्ट के स्वरूप को लेकर चर्चा जारी
अब बात ट्रस्ट की. ट्रस्ट का स्वरूप कैसा हो इस पर चर्चा जारी है और दावों की झड़ी लगी है. वीएचपी के महासचिव चंपत राय 1984 से अयोध्या में डेरा डाले बैठे रहे. अब जब रामलला की जीत हुई है तो कहते हैं कि सिर्फ जो राम भक्ति करते हैं वही इस ट्रस्ट के सदस्य बने यानी सिर्फ वर्शिपर को ही जगह मिले. पूछा गया कि क्या समिति में नामी गिरामी धर्म गुरुओं को शामिल करना चाहिए, तो चंपत राय ने कहा कि वो चाहते हैं कि कोई भी निर्गुण का उपासक ट्रस्ट का सदस्य नहीं बने.

राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
चंपत राय ने कहा कि किसी को भी आजीवन इस ट्रस्ट का सदस्य नहीं बनाया जाना चाहिए. चाहे वो यहां के पुजारी हों या फिर ट्रस्ट के सदस्य. चंपत राय ने एक और बात साफ कर दी कि किसी भी मंत्री को इसका सदस्य नहीं बनाना चाहिए. संदेश तो मोदी सरकार के लिए था. अपनी राय तो रखी लेकिन चंपत राय ये साफ करने से नहीं चूके कि गेंद अब मोदी सरकार के पाले में है कि वो कैसी समिति बनाती है. संकेत है कि सरकार एक ऐसा ट्रस्ट चाहती है जिसमें सर्वधर्म समभाव का संदेश दुनिया भर में जाए.
वीएचपी के नक्शा के अनुसार बन सकता है मंदिरवीएचपी का कहना है कि मंदिर निर्माण का 60 फीसदी काम पहले से ही पूरा हो चुका है और शिलान्यास भी 1989 में हो ही चुका है. सरकारी सूत्र बताते हैं कि शिलाएं, इंटें, खंभे और बाकी ढांचे बन कर तैयार हैं. सिर्फ एक फॉर्मूला तैयार करना है जिससे ये जल्दी से जल्दी पूरा हो जाए. सरकार इसे प्राचीन और मध्यकालिन मंदिरों की तरह बनाना चाहती है जब बिना किसी सीमेंट और प्लास्टर के आलीशान ढांचे तैयार हो जाते थे. इसलिए 30 साल पुराना वीएचपी का नक्शा ही अंतिम रूप लेगा इसके आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं.
सोमनाथ के तर्ज पर बने ट्रस्ट
बात चल रही है सोमनाथ ट्रस्ट के तर्ज पर एक ट्रस्ट बनाने की. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जो ट्रस्ट बनाया उसमें 8 सदस्य थे. इन 8 सदस्यों में 4 केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त ट्रस्टी थे और 4 गुजरात सरकार के. फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री केशूभआई पटेल इसके चेयरमैन और रिटायर्ड मुख्य सचिव पीके लाहिरी इसके सचिव हैं. मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी भी इसके सदस्य हैं. इसमें सदस्य कोई भी हो सकता है. चाहे वह नेता, उद्योगपति या सामाजिक कार्यकर्ता हों. ये ट्रस्टी पर निर्भर करता है कि वो कब तक इसका सदस्य रहेगा. यानी आजीवन भी सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी बने रह सकते हैं. कुछ इसी तर्ज पर सरकार राम मंदिर का भी ट्रस्ट बनाने की तैयारी में है.

राम मंदिर के लिए कई नक्शा पहले से ही बना हुआ है.
जहां तक संसद में बिल लाने की बात है, कानून और गृह मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि इसकी जरूरत फिलहाल नजर नहीं आ रही. लेकिन संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि अगर ट्रस्ट को वित्तीय ताकत देनी पड़ी तो संसद में बिल लाना पड़ेगा. एक बार ट्रस्ट ने आकार लेना शुरू किया तो ये भी साफ हो जाएगा. अयोध्या को भी एक आलिशान और भव्य रूप देने की योजना तैयार की जा रही है.
अयोध्या की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई जाएगी
इसके तहत अयोध्या को वेटिकन और येरुशलम जैसा रूप देकर अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई जाएगी. सूत्र बताते हैं कि इसकी रूप रेखा और बनाने का जिम्मा यूपी की योगी सरकार के हवाले किया जा सकता है. साथ ही गुजरात में बनी सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ युनिटी की तर्ज पर सरयू के किनारे भगवान राम की मूर्ति भी स्थापित की जाएगी. ये मूर्ति भी अयोध्या की पहचान होगी. यानी रामजन्मभूमि के स्थान पर भव्य मंदिर के साथ-साथ पूरे के पूरे अयोध्या के कायाकल्प की योजना अंतिम रूप ले रही है. जाहिर है कि मोदी सरकार की पूरी कोशिश ये है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला और भव्य राम मंदिर का निर्माण इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक यादगार साबित हो.
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First published: November 15, 2019, 1:23 PM IST