अयोध्या विवाद: राम मंदिर निर्माण के खिलाफ 6 दिसंबर को AIMPLB दाखिल करेगा रिव्यू पिटीशन
News18 Uttar Pradesh Updated: December 4, 2019, 5:04 PM IST

बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब
हाजी महबूब ने कहा कि 6 दिसंबर को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा.
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- Last Updated: December 4, 2019, 5:04 PM IST
अयोध्या. बाबरी विध्वंस (Babri Demolition) की 28वीं बरसी के दिन आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड राम मंदिर निर्माण (Ram Temple) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में रिव्यू पिटीशन (Review Petition) दाखिल करेगा. यह जानकारी बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब (Hazi Mehboob) ने दी. हाजी महबूब ने कहा कि 6 दिसंबर को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा. रिव्यू पिटीशन राजीव धवन दाखिल करेंगे. उनके साथ जफरयाब जिलानी भी मौजूद रहेंगे. रिव्यू पिटीशन पर सभी पक्षकारों हाजी महबूब, मो उमर, मौलाना मह्फुज़ुर्र रहमान टांडा और बादशाह खान के हस्ताक्षर होंगे.
बता दें मुस्लिम पक्ष्कारों की तरफ से दाखिल होने वाले इस रिव्यू पिटीशन को एआईएमपीएलबी कानूनी मदद प्रदान करेगा और मुक़दमे की पैरवी वरिष्ठ वकील राजीव धवन करेंगे. एक अन्य रिव्यू पिटीशन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की तरफ से दाखिल की जाएगी. हालांकि इस बार जमीयत ने केस की पैरवी से राजीव धवन को अलग कर दिया है. इससे पहले 2 दिसम्बर को भी एक रिव्यू पिटीशन दाखिल की गई थी. मौलाना सैयद अशद राशिदी ने एम सिद्दीक की तरफ से 217 पेज की याचिका दाखिल की है. इसमें सुप्रीम कोर्ट से 9 नवंबर 2019 को दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं करेगा रिव्यू पिटीशन दाखिल
उधर इस विवाद में सबसे बड़े पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल न करने का फैसला लिया है. 26 नवंबर को लखनऊ में हुई बैठक में बहुमत से इस निर्णय पर मुहर लगा दी जा चुकी है. हालांकि बैठक में पांच एकड़ जमीन पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. इस पर राय बनाने के लिए सदस्यों ने और वक्त मांगा है. इसके अलावा एक अन्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी फैसले के खिलाफ किसी भी तरह की याचिका दाखिल करने से साफ मना किया है.इकबाल अंसारी ने रिव्यू पिटीशन का किया विरोध
उधर बाबरी मस्जिद एक एक और पक्षकार इकबाल अंसारी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रिव्यू पिटीशन का विरोध किया है. इकबाल अंसारी ने कहा कि वे रिव्यू पिटीशन में शामिल नहीं होंगे. इकबाल अंसारी का ने कहा, "हम चाहते हैं राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मसला खत्म हो. इस मसले को आगे नहीं बढ़ाया जाए. अपने फायदे के लिए लोग हिन्दू-मुस्लिम को नफरत की आग में झोंकना चाहते हैं. मंदिर-मस्जिद की राजनीति बंद होनी चाहिए. इस मुद्दे को खत्म कर रोजगार और विकास की मांग होनी चाहिए. "
विहिप ने कहा AIMPLB का फैसला भ्रमित करने वालाविश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि पुनर्विचार याचिका भ्रमित करने वाली है. यह लोग राम जन्मभूमि मामले पर समाज को भ्रमित कर रहे हैं. यह सौहार्द पसंद मुस्लिमों का अपमान है. हम चाहते हैं कि देश में शांति और सौहार्द बना रहे. मुट्ठी भर लोग अशांति फैलाना चाहते हैं. किसी भी तरह से इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आने वाले समय में भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा. अदालत ने निर्णय दे दिया है. सभी को उसका पालन करना चाहिए. पुनर्विचार याचिका डालकर लोगों में उत्तेजना पैदा की जा रही है.
9 नवंबर को रामलला के पक्ष में आया था फैसला
गौरतलब है कि दशकों पुराने इस विवाद में 40 दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच मेम्बेर्स की संविधान पीठ ने एकमत से राम लाला के पक्ष में फैसला सुनाया था. इतना ही नहीं मुस्लिम पक्ष को बाबरी मस्जिद की जमीन के एवज में अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने और राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था.
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अयोध्या मामले की रिव्यू पिटिशन: जमीयत ने वकील राजीव धवन को हटाया
बता दें मुस्लिम पक्ष्कारों की तरफ से दाखिल होने वाले इस रिव्यू पिटीशन को एआईएमपीएलबी कानूनी मदद प्रदान करेगा और मुक़दमे की पैरवी वरिष्ठ वकील राजीव धवन करेंगे. एक अन्य रिव्यू पिटीशन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की तरफ से दाखिल की जाएगी. हालांकि इस बार जमीयत ने केस की पैरवी से राजीव धवन को अलग कर दिया है. इससे पहले 2 दिसम्बर को भी एक रिव्यू पिटीशन दाखिल की गई थी. मौलाना सैयद अशद राशिदी ने एम सिद्दीक की तरफ से 217 पेज की याचिका दाखिल की है. इसमें सुप्रीम कोर्ट से 9 नवंबर 2019 को दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं करेगा रिव्यू पिटीशन दाखिल
उधर इस विवाद में सबसे बड़े पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल न करने का फैसला लिया है. 26 नवंबर को लखनऊ में हुई बैठक में बहुमत से इस निर्णय पर मुहर लगा दी जा चुकी है. हालांकि बैठक में पांच एकड़ जमीन पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. इस पर राय बनाने के लिए सदस्यों ने और वक्त मांगा है. इसके अलावा एक अन्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी फैसले के खिलाफ किसी भी तरह की याचिका दाखिल करने से साफ मना किया है.इकबाल अंसारी ने रिव्यू पिटीशन का किया विरोध
उधर बाबरी मस्जिद एक एक और पक्षकार इकबाल अंसारी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रिव्यू पिटीशन का विरोध किया है. इकबाल अंसारी ने कहा कि वे रिव्यू पिटीशन में शामिल नहीं होंगे. इकबाल अंसारी का ने कहा, "हम चाहते हैं राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मसला खत्म हो. इस मसले को आगे नहीं बढ़ाया जाए. अपने फायदे के लिए लोग हिन्दू-मुस्लिम को नफरत की आग में झोंकना चाहते हैं. मंदिर-मस्जिद की राजनीति बंद होनी चाहिए. इस मुद्दे को खत्म कर रोजगार और विकास की मांग होनी चाहिए. "
विहिप ने कहा AIMPLB का फैसला भ्रमित करने वाला
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9 नवंबर को रामलला के पक्ष में आया था फैसला
गौरतलब है कि दशकों पुराने इस विवाद में 40 दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच मेम्बेर्स की संविधान पीठ ने एकमत से राम लाला के पक्ष में फैसला सुनाया था. इतना ही नहीं मुस्लिम पक्ष को बाबरी मस्जिद की जमीन के एवज में अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने और राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था.
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First published: December 4, 2019, 4:56 PM IST
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