होम /न्यूज /उत्तर प्रदेश /Ayodhya Verdict: जानिए क्या था अयोध्या मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

Ayodhya Verdict: जानिए क्या था अयोध्या मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

विवादित परिसर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 हिस्सों में बांटने का फैसला दिया था

विवादित परिसर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 हिस्सों में बांटने का फैसला दिया था

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) की 3 जजों की बेंच ने हिंदू और मुस्लिम (Hindu&Muslim) समुदाय के बीच विवादित परि ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अयोध्या (Ayodhya) पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को तीन महीने के अंदर एक ट्र्स्ट बनाने का भी आदेश दिया है. जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने को कहा है. बता दें कि इससे पहले 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ (Lucknow) पीठ ने राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवादित परिसर को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में दिए अपने फैसले में विवादित जमीन को तीन हिस्सा में बांट दिया था. एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़े को दिया गया. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को तीन हिस्सों में बांटने के निर्णय को बदल डाला
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर पहले सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी, इसमें तीन पक्षकारों मालिकाना हक दिए गए थे.


बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की 3 जजों की बेंच ने बहुमत से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद परिसर को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला दिया था. जहां राम लला विराजमान हैं, उस जगह को हिंदू समुदाय को दिया गया था. 60 साल से चले आ रहे विवाद को निपटाते हुए हाईकोर्ट के जज एसयू खान और सुधीर अग्रवाल ने कहा था कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद परिसर में मस्जिद के तीन गुंबदों में बीच का गुबंद, जहां राम लला विराजमान हैं, उस जगह को हिंदू समुदाय को दिया जाता है.

जस्टिस एसयू खान और सुधीर अग्रवाल ने कहा था कि विवादित परिसर की 2.7 एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा और इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा व राम लला पर दावा जताने वाले हिंदू समुदाय को दिया जाएगा.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में फैसला सुनाया था.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में फैसला सुनाया था.


फैसला सुनाने वाले 3 जजों की बेंच में एक जज डीवी शर्मा की इस पर अलग राय थी. जस्टिस शर्मा ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित परिसर भगवान राम की जन्मस्थली है. इस स्थल पर मुगल शासक बाबर ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया था. परिसर में स्थित मस्जिद के परीक्षण के बाद ये बात साफ हो जाती है.

जस्टिस एसयू खान ने विवादित परिसर के मैप को सामने रखकर फैसला सुनाया था. इसमें बीच के गुंबद वाली जगह, जहां अस्थायी मंदिर बना है, उसे हिंदुओं को दिया था. राम चबूतरा और सीता रसोई को निर्मोही अखाड़े को दिया गया था. जस्टिस खान ने अपने फैसले में कहा था कि कोर्ट ने तीनों पक्षों के बीच समान भूभाग का बंटवारा किया था. हालांकि अगर जमीन के बंटवारे में थोड़ा ऊपर-नीचे होता है तो प्रभावित पक्ष को सरकार इस भूभाग के आसपास जमीन उपलब्ध करवाए.

ये भी पढ़ें: Ayodhya Verdict: जानिए कौन हैं वो 5 जज, जिन्होंने देश के सबसे बड़े मुकदमे का ऐतिहासिक फैसला सुनाया

आपके शहर से (अयोध्या)

अयोध्या
अयोध्या

Tags: Ayodhya, Ayodhya Land Dispute, Ayodhya Verdict, Babri Masjid Demolition Case, Babri mosque demolition, Supreme Court, Supreme court of india

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें