अयोध्या फैसला: मुस्लिम पक्षकारों को 5 एकड़ जमीन दिए जाने के खिलाफ याचिका दाखिल करेगी हिंदू महासभा

सुप्रीम कोर्ट
हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) मुस्लिम पक्षकारों को पांच एकड़ जमीन दिए जाने के खिलाफ पुनर्विचार याचिका (Review Petition) दाखिल करेगी. हिंदू पक्षकारों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर विचार करने को कहेगी.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: December 6, 2019, 1:11 PM IST
अयोध्या/दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) के अयोध्या मसले पर सुनाए फैसले (Ayodhya Verdict) को लेकर मुस्लिम पक्ष की तरफ से पुनर्विचार याचिका (Review Petition) दाखिल की जा रही है. इस बीच मामले में हिंदू महासभा ने भी ऐलान किया है कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी. हिंदू महासभा मुस्लिम पक्षकारों को पांच एकड़ जमीन दिए जाने के खिलाफ ये याचिका दाखिल करेगी. हिंदू पक्षकारों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर विचार करने को कहेगी.
पीस पार्टी ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका
दूसरी तरफ पीस पार्टी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है. इसमें पीस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है. पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था. 1949 तक सेंटल डोम के नीचे नमाज़ अदा की गई थी और कोई भी भगवान की मूर्ति डोम के नीचे तब तक नहीं थी. पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में भी इस बात के साक्ष्य (सबूत) नहीं है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई. 1885 में बाहरी अहाते में राम चबूतरे पर हिंदू पूजा करते थे आंतरिक हिस्सा मुसलमानों के पास था.
वहीं खबर है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) शुक्रवार दोपहर ढाई बजे रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा. पर्सनल ला बोर्ड के बाबरी मस्जिद कमेटी के कन्वीनर डॉ कासिम रसूल इलियास ने इसकी तस्दीक की है.(इनपुट: शंकर आनंद)
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पीस पार्टी ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका
दूसरी तरफ पीस पार्टी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है. इसमें पीस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है. पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था. 1949 तक सेंटल डोम के नीचे नमाज़ अदा की गई थी और कोई भी भगवान की मूर्ति डोम के नीचे तब तक नहीं थी. पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में भी इस बात के साक्ष्य (सबूत) नहीं है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई. 1885 में बाहरी अहाते में राम चबूतरे पर हिंदू पूजा करते थे आंतरिक हिस्सा मुसलमानों के पास था.
वहीं खबर है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) शुक्रवार दोपहर ढाई बजे रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा. पर्सनल ला बोर्ड के बाबरी मस्जिद कमेटी के कन्वीनर डॉ कासिम रसूल इलियास ने इसकी तस्दीक की है.(इनपुट: शंकर आनंद)
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