रिपोर्ट- सर्वेश श्रीवास्तव
अयोध्या: सनातन धर्म में विवाह का स्थान बहुत ऊंचा है. वर पक्ष और कन्या पक्ष के लोग अलग-अलग रिति-रिवाजों के साथ विवाह संस्कार संपन्न कराते हैं. आपने-अपने घरों में होने वाली शादियों को देखकर भी लोगों को काफी कुछ अंदाजा हो जाता है. लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं. धर्म नगरी अयोध्या में हुई भगवान श्रीराम और माता जानकी के विवाह की रस्मों और परंपराओं के बारे में.
गौरतलब है कि, अयोध्या के मठ मंदिरों में प्रभु श्रीराम और माता जानकी का विवाह सनातनी परंपरा के अनुसार होता है. इस दौरान भगवान श्रीराम की हल्दी होती है. तिलक चढ़ता है और फिर गाजे-बाजे के साथ हाथी घोड़े पर सवार होकर रामलला मां जानकी को ब्याहने निकलते हैं. पूरे वैदिक रीति-रिवाजों के साथ देर रात्रि तक मां जानकी और भगवान राम का परिणय सूत्र में बंधे.इस दौरान दूल्हा बने प्रभु श्रीराम जी ने हर वो रस्म निभाई जो लोकाचार में है.
भक्तों ने निभाई कलेवा परंपरा
रंग महल मंदिर के महंत रामशरण दास बताते हैं कि, ठाकुर जी के कलेवा में जो लोक रीति है. उस तरीके से भगवान कलेवा करते हैं और मौजूदा समाज को सनातन परंपरा की शिक्षा देते हैं. भगवान राम का पांव पूजा गया मां जानकी के साथ अग्नि को साक्षी मानकर भगवान राम ने सात फेरे लिए. इस दरमियान भगवान को मां जानकी के पक्ष के लोगों ने गाली सुनाया और कुंवर कलेवा के दरमियान भगवान ने अपनी जिद पूरी कराई. फिर चाहे वह हाथी घोड़ों की मांग हो या फिर मोटर गाड़ी की हर मांग को कन्या पक्ष ने पूरा किया. इन सब के साथ ही संपूर्ण रामनगरी त्रिलोक स्वामी के विवाह की साक्षी बनी.
कलेवा में साक्षी बनना सौभाग्य की बात
NEWS 18 LOCAL से बात करते हुए श्रद्धालु ऐश्वर्या त्रिपाठी बताती हैं कि, हम लोग राम विवाह में जब भी आते हैं. काफी अच्छा लगता है. एकदम घर जैसा माहौल लगता है. हमारे मम्मी पापा ने भगवान को मनाया फिर भगवान ने भोजन ग्रहण किया. हम सौभाग्यशाली हैं जो हम आए और प्रभु के दर्शन किए.
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