अयोध्या मामले पर पुनर्विचार याचिका नहीं दायर करनी चाहिए : मुस्लिम मोर्चा
News18India Updated: November 21, 2019, 3:50 PM IST

ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चे ने कहा कि रिव्यू पिटीशन दायर करना गलत है. (फाइल फोटो)
हाफिज़ गुलाम सरवर ने AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) को सलाह दी कि वह सांप्रदायिक राजनीति (Communal politics) को छोड़कर रोज़गार (Employment), शिक्षा (Education) और आम लोगों से जुड़े मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरें.
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- Last Updated: November 21, 2019, 3:50 PM IST
नई दिल्ली. ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चे (All India United Muslim Front) ने अयोध्या (Ayodhya) मामले पर पुनर्विचार याचिका (Review Petition) दायर करने के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) के फैसले की आलोचना की है. मोर्चे ने कहा कि इस मुद्दे पर काफी सांप्रदायिक राजनीति हुई है, लिहाजा इसे खत्म कर देना चाहिए ताकि राजनीतिक पार्टियां आम लोगों से जुड़े मुद्दे उठाएं.
मोर्चे के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाफिज़ गुलाम सरवर ने पत्रकार वार्ता में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने तमाम परिस्थितियों को देखकर यह निर्णय सुनाया है और इसे हम सबको स्वीकार करना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'फैसला आने से पहले तमाम संगठनों ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे माना जाएगा तो अब अगर-मगर क्यों किया जा रहा है?'
सरवर ने कहा, 'मंदिर-मस्जिद के नाम पर बहुत सियासत हुई है और इससे सांप्रदायिकता बढ़ी है. इस मुद्दे का हल होने पर राजनीति आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर होगी. सांप्रदायिक राजनीति से नुकसान गरीब और पिछड़ों का होता है.’’
उन्होंने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने माना है कि मजिस्द में मूर्तियां रखना और उसे तोड़ना गैर कानूनी है और यह भी माना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने के कोई सबूत नहीं मिले हैं जो मुसलमानों के लिए बड़ी जीत है. इसलिए इस मुद्दे को आगे नहीं ले जाना चाहिए.'पांच एकड़ जमीन के सवाल पर यह बोले
न्यायालय द्वारा कहीं और पांच एकड़ जमीन मुस्लिम पक्षकारों को देने के सवाल पर सरवर ने कहा, 'अगर जमीन किसी चीज के बदले में या मुआवजे के तौर पर दी जा रही है तो हमें इसे नहीं लेना चाहिए.'
असदुद्दीन ओवैसी को दी नसीहतएआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा मस्जिद मांगने पर उन्होंने कहा, 'ओवैसी को रोज़गार, शिक्षा और आम लोगों से जुड़े मुद्दे पर सड़कों पर उतरना चाहिए और सांप्रदायिक राजनीति नहीं करनी चाहिए.'
गौरतलब है कि एक सदी से भी पुराने बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि मामले का उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर को निपटारा कर दिया है. न्यायालय ने विवादित भूमि हिन्दू पक्ष को दे दी और मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया है.
ये भी पढ़ें- फिक्की ने मोदी सरकार के फैसले का किया स्वागत, कहा- इन कंपनियों का सुधरेगा प्रदर्शन
मोर्चे के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाफिज़ गुलाम सरवर ने पत्रकार वार्ता में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने तमाम परिस्थितियों को देखकर यह निर्णय सुनाया है और इसे हम सबको स्वीकार करना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'फैसला आने से पहले तमाम संगठनों ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे माना जाएगा तो अब अगर-मगर क्यों किया जा रहा है?'
सरवर ने कहा, 'मंदिर-मस्जिद के नाम पर बहुत सियासत हुई है और इससे सांप्रदायिकता बढ़ी है. इस मुद्दे का हल होने पर राजनीति आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर होगी. सांप्रदायिक राजनीति से नुकसान गरीब और पिछड़ों का होता है.’’
उन्होंने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने माना है कि मजिस्द में मूर्तियां रखना और उसे तोड़ना गैर कानूनी है और यह भी माना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने के कोई सबूत नहीं मिले हैं जो मुसलमानों के लिए बड़ी जीत है. इसलिए इस मुद्दे को आगे नहीं ले जाना चाहिए.'पांच एकड़ जमीन के सवाल पर यह बोले
न्यायालय द्वारा कहीं और पांच एकड़ जमीन मुस्लिम पक्षकारों को देने के सवाल पर सरवर ने कहा, 'अगर जमीन किसी चीज के बदले में या मुआवजे के तौर पर दी जा रही है तो हमें इसे नहीं लेना चाहिए.'
असदुद्दीन ओवैसी को दी नसीहत
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गौरतलब है कि एक सदी से भी पुराने बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि मामले का उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर को निपटारा कर दिया है. न्यायालय ने विवादित भूमि हिन्दू पक्ष को दे दी और मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया है.
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First published: November 21, 2019, 3:50 PM IST
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