सर्वेश श्रवास्तव
अयोध्या. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान राम का दिव्य और भव्य मंदिर बन रहा है. मंदिर का निर्माण तेजी से किया जा रहा है. मंदिर निर्माण की स्थिति को जानने के लिए पहली बार कारदायी संस्था लार्सन एंड टूब्रो के सीएफओ आर शंकर रमन अयोध्या पहुंचे. यहां मंदिर निर्माण की प्रगति से रूबरू होने के साथ-साथ उन्होंने लार्सन एंड टूब्रो के इंजीनियरों से राम मंदिर निर्माण की बारीकियों पर भी मंथन किया.
दरअसल राम मंदिर निर्माण में वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. मंदिर हजारों साल कैसे सुरक्षित रहे, इसमें लगने वाले पत्थरों पर की गई नक्काशी हजारों वर्षों तक कैसे सुरक्षित रहे, इस पर वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं. लार्सन एंड टूब्रो के सीएफओ ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें भगवान राम का मंदिर बनाने का मौका मिला है. मंदिर निर्माण के साथ देश और दुनिया में एक नया इतिहास लिखने की तैयारी कर रहे हैं.
इतिहास लिखने का बेहतर मौका
वो बताते हैं कि राम मंदिर प्रोजेक्ट को बेहतर तरीके से कंप्लीट करना हमारा धर्म है. हमें एक बड़ा उद्देश्य मिला है. यह हमारे लिए इतिहास लिखने का बेहतर मौका है. हम भाग्यशाली हैं और हमारे ऊपर प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद है. हमारे लिए हर प्रोजेक्ट एक चैलेंज है, उसमें नई चीजें सीखने को मिलती हैं. हैवी स्टोन और उसमें कार्विंग यह नॉर्मल काम नहीं है. मुंबई एयरपोर्ट, दिल्ली एयरपोर्ट, सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू हो और शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा हो, इसमें राम मंदिर का प्रोजेक्ट एक अलग चैलेंज देता है. लेकिन हमलोग हर चैलेंज को इंजीनियरों के सहयोग से हल कर लेते हैं. इसको अच्छा आकार और स्वरूप देते हैं.
हजारों वर्षों तक मंदिर रहेगा सुरक्षित
वहीं, राम मंदिर निर्माण के प्रोजेक्ट मैनेजर विनोद मेहता के मुताबिक राम मंदिर निर्माण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनका विश्व के ऐतिहासिक मंदिरों में किया गया है. राम मंदिर में एसेंशियल टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है. मंदिर का पारंपरिक स्वरूप हम बना रहे हैं और नई तकनीकी से भी जोड़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पहले मंदिर निर्माण में पीढ़ियां लग जाती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है. हम नई और पुरानी तकनीकों को मिलाकर राम मंदिर का निर्माण कर रहे हैं. पहले कभी किसी भी मंदिर में इस तरह का रिसर्च नहीं किया गया है. मंदिर को भूकंपरोधी बनाने के लिए आईटी और एनआईटी का इस्तेमाल किया गया है. टाटा और एलएनटी के डिजाइन टीम ने इतना रिसर्च किया है कि मंदिर कम से कम 1,000 वर्षों तक सुरक्षित रहे.
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