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अयोध्या में भगवान राम के जीवन पर शोध के लिए बनेगा संस्थान

इसी तरह दो अन्य भक्तों ने काफी मात्रा में चांदी दान किया है. (मॉडल तस्वीर)

इसी तरह दो अन्य भक्तों ने काफी मात्रा में चांदी दान किया है. (मॉडल तस्वीर)

अयोध्या (Ayodhya) में मंदिर (Ram Mandir) परिसर में भगवान राम के जीवन पर शोध के लिए संस्थान बनाया जाएगा. साथ ही वेद पाठ ...अधिक पढ़ें

अयोध्या. उत्तर प्रदेश में राम मंदिर निर्माण के साथ भव्य और दिव्य अयोध्या का सपना भी साकार होने जा रहा है. अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir Construction) के लिए आधारशिला रखी जा चुकी है. रामलला के मंदिर के स्वरूप को लेकर लगाये जा रहे कयासों पर भी अब विराम लग चुका है. मंदिर का स्वरूप भव्य और दिव्य होगा. मंदिर की ऊंचाई, चौड़ाई और शिवालयों में बदलाव किये गये हैं. पहले मंदिर की ऊंचाई 121 फीट रखी गई थी. अब इसे बढ़ाकर 161 फीट कर दी गई है.

अयोध्या को सजाने और संवारने की बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट कर चुके हैं. अयोध्या में जैसे- जैसे मंदिर का निर्माण होगा, वैसे-वैसे पर्यटकों के आने का सिलसिला भी शुरू होगा. ऐसे में पर्यटकों की सुविधा का भी ख्याल रखा जाएगा.

श्रद्धालुओं की सुविधाओं का रखा जाएगा ख्याल 

नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने बताया कि रामलला मंदिर के 65 एकड़ एरिया में श्रद्धालुओं की सुविधाओं का भी ध्यान में रखा जाएगा. अयोध्या आने वाले पर्यटकों को इस बात का आभास हो कि वह राम की नगरी में हैं. इस उद्देश्य से मंदिर परिसर में प्रभु राम के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी लगेगी.

मंदिर निर्माण को लेकर किये गये ये बदलाव  

हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि पहले रामलला मंदिर की ऊंचाई 121 फीट रखी गई थी, जिसे अब बढ़ाकर 161 फीट कर दी गई है. चौड़ाई 140 फीट से 235 फीट की गई है. लंबाई 265 से बढ़ाकर 350 फीट कर दी गई है. 67 एकड़ में भव्य मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट ने नक्शा पास कराने के लिए आवेदन कर दिया है.

शोध संस्थान और गुरुकुल की होगी स्थापना 

उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर चार अन्य मंदिर भी होंगे. जिसमें लक्ष्मण जी का मंदिर होगा. राम मंदिर के चार प्रवेश द्वार होंगे, जिनको गोपुरम कहा जाएगा. परिसर में भगवान राम के जीवन पर शोध करने वालों के लिए शोध संस्थान बनेगा. साथ ही गुरुकुल की भी स्थापना होगी. जहां वेद पाठी बालक शिक्षा ले सकेंगे.

ज्योतिष की माने तो मंदिर परिसर में नक्षत्र वाटिका की स्थापना बेहद शुभ है. किसी भी कार्य के पहले शुभ और अशुभ नक्षत्रों पर विचार किया जाता है. और इसी को ध्यान में रखकर 27 नक्षत्रों से जुड़े वृक्षों को लगाया गया है.

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