रिपोर्ट: सर्वेश श्रीवास्तव
अयोध्या. आपने नेताओं को कई बार चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते देखा होगा, लेकिन राम नगरी में इन दिनों निकाय में आरक्षण की लिस्ट जारी होने के बाद तमाम बदलाव हो गए हैं. ऐसे में नेताओं ने अपनी सीट बचाने के लिए नई जुगत निकाल ली है. अविवाहित नेताओं ने आनन-फानन में अपनी सीट पर अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए कोर्ट मैरिज तक कर डाली है.हम बात कर रहे हैं राम नगरी के स्वर्गद्वार वार्ड की, जो अब लक्ष्मण घाट वार्ड में समायोजित हो गया है. इस सीट से नेताजी ने पिछले पार्षद चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी को चंद वोटों से पटखनी दी थी, लेकिन नेतागिरी का चस्का लगा और इस बार सीट महिला हुई तो उन्होंने आनन-फानन में कोर्ट मैरिज शादी कर डाली.
मजेदार बात ये है कि परिजन नेताजी की शादी धूमधाम से करने की तैयारी कर रहे थे, इस बीच एकाएक नेताजी ने अपनी सीट को बचाने के लिए विवाह करने की योजना बना डाली. इस कारण धूमधा के बजाए चंद मेहमानों की मौजूदगी में कोर्ट मैरिज कर ली. अब आरक्षण की लिस्ट जारी हो गई है और सीट महिला हो गई है. इस बीच नई दुल्हन के हाथों की मेहंदी अभी फीकी नहीं पड़ी है, लेकिन वह घर-घर जाकर अपने पक्ष में मतदान करने के लिए अपील कर रही हैं. बता दें कि बीते 2 दिसंबर को पार्षद महेंद्र शुक्ला ने शादी रचाई थी.
जनता के प्रति हैं समर्पित
पार्षद महेंद्र शुक्ला बताते हैं कि जनता से जो हमने वादे किए थे, वह पिछले 5 सालों में हमने पूरे किए है. जनता उसको स्वीकारते हुए पुनः आशीर्वाद देने के लिए तैयार है. लगातार उनके बीच में जनसंपर्क कर रहे हैं. महिला सीट होने की वजह से मेरी धर्मपत्नी इस बार चुनाव मैदान में उतर रही हैं. मेरी धर्मपत्नी के प्रति लोगों की संवेदनाएं हैं.
राजनीति में रहने के लिए जल्दबाजी में शादी की
पार्षद महेंद्र शुक्ला बताते हैं कि 12 अक्टूबर को हमने सगाई की थी और जनवरी में हम लोग धूमधाम से शादी करने वाले थे. हमने यह भी सोचा था पहले चुनाव लड़ेंगे और फिर धूमधाम से शादी करेंगे, चाहे जो रिजल्ट आए . इस बीच एकाएक महिला सीट आने के बाद हमने कोर्ट मैरिज शादी की. राजनीति में 5 साल मेहनत की है और राजनीति में रहना चाहता हूं, तो उसके लिए हमने सोचा घर की प्रत्याशी रहेगी तो ठीक रहेगा. इस नाते हमने जल्दी शादी कर ली.
धर्मपत्नी होंगी पार्षद पद की उम्मीदवार
पार्षद महेंद्र शुक्ला बताते हैं कि महिला सीट होने की वजह से इस बार हमारी अर्धांगिनी चुनाव मैदान में रहेंगी. सीट छोड़ नहीं सकते थे, इस वजह से धर्मपत्नी को इस बार चुनाव मैदान में लेकर आए हैं. साथ ही कहा कि जब सगाई होती है तो आधी रजिस्ट्री होती हैं, तो हमने सोचा क्यों अभी ना पूरी रजिस्ट्री कर लिया जाए. इस तरह शादी कर ली.
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