समाजवादी पार्टी के प्रमुख आखिलेश यादव के गढ़ में त्रिस्तरीय चुनाव में जहां प्रत्याशियों की होड़ लगी रही. वहीं आजमगढ़ जिले में एक 65 वर्षीय वृद्ध महिला ने जीत का परचम लहरा कर सबको चौंका दिया है, क्योंकि इस महिला ने 7 युवा प्रत्याशियों को मात देकर 43 वोटों से अपना परचम लहराया और कहा कि वह बराबर गांव के लोगों की सेवाएं करती थी और अब जनता ने उन्हें मौका दिया है तो वह और भी बेहतर तरीके से जनता की सेवा करेंगी.
आजमगढ़ जिले केठेकमा ब्लॉक के पसिका गांव की रहने वाली 65 वर्षीय फूलमती सरोज पत्नी स्वर्गीय मोनई सरोज की शुरू से ही सोच थी कि वह अपने गांव के लोगों का विकास करें. वह अपने स्तर से जो भी संभव मदद हो सकती थी वह गांव के लोगों के लिए करती थी. गरीब बेटियों की शादी व अन्य कार्यक्रमों में उनकी मदद भी करती थी. गांव के गरीब बच्चों को अपने घर पर कुशल अध्यापकों से शिक्षा भी दिलवाती थी ताकि यह पढ़ लिख कर आगे बढ़ सकें और अपने गांव का नाम रोशन करें.
फूलमती सरोज के पति पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर थे और उनका एक बेटा डॉक्टर और दूसरा बेटा फॉरेस्ट अधिकारी है. गांव में जो भी आदमी परेशान पीड़ित दिखता था वह उसकी मदद के लिए बराबर खड़ी रहती थी. उनके मन में गांव के विकास के लिए एक सोच आई और उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और 7 युवा प्रत्याशियों के बीच खुद ही मैदान में कूद पड़ी.
गांव की जनता और युवाओं ने सब को नकारते हुए फूलमती के सिर पर जीत का ताज पहना दिया. वहीं जब इस जीत के बाद फूलमती से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह गांव के विकास के लिए बराबर खड़ी रहती थी. अब तो गांव के लोगों ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है. अब वह गांव में हर एक वह संभव प्रयास करेंगी जो गांव में नहीं है.
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि यह गांव के बारे में और गांव के लोगों के बारे में काफी सोचती रहती हैं और जो भी संभव मदद होती है वह भी यह अपने स्तर से करती हैं शायद यही वजह रही कि गांव के लोगों ने इन्हें गांव का प्रधान चुना और अब लोगों को यह उम्मीद है कि गांव में जो विकास अब तक नहीं हुआ है वह गांव में होगा और गांव की सूरत और सीरत दोनों ही बदलेगी.
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FIRST PUBLISHED : May 04, 2021, 13:59 IST