बदायूं गैंगरेप मामला: दोनों बहनों की झूठी शान के लिए हुई हत्या

हैदराबाद स्थित डीएनए फिंगर प्रिंटिंग और डाईगनॉस्टिक सेंटर की रिपोर्ट ने बदायूं में दो बहनों के साथ हुए के कथित बलात्कार और हत्या के मामले में यौन उत्पीड़न की बात से इनकार किया है। इससे सीबीआई की ऑनर किलिंग की बात सही होती नजर आ रही है।
हैदराबाद स्थित डीएनए फिंगर प्रिंटिंग और डाईगनॉस्टिक सेंटर की रिपोर्ट ने बदायूं में दो बहनों के साथ हुए के कथित बलात्कार और हत्या के मामले में यौन उत्पीड़न की बात से इनकार किया है। इससे सीबीआई की ऑनर किलिंग की बात सही होती नजर आ रही है।
- News18
- Last Updated: August 21, 2014, 7:07 AM IST
हैदराबाद स्थित डीएनए फिंगर प्रिंटिंग और डाईगनॉस्टिक सेंटर की रिपोर्ट ने बदायूं में दो बहनों के साथ हुए के कथित बलात्कार और हत्या के मामले में यौन उत्पीड़न की बात से इनकार किया है। इससे सीबीआई की ऑनर किलिंग की बात सही होती नजर आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक देश की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, जांच एजेंसी के लिए अब इस बात पर विश्वास करने का कोई आधार नहीं रह गया है कि दोनो चचेरी बहनों की हत्या करने से पहले बलात्कार किया गया था। दोनों बहनों की लाशें 27 मई को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के गांव में पेड़ से लटकी मिली थी। सूत्रों का कहना है कि अब शक की सुई फिर से परिवार के सदस्यों पर आ गई है।
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद हम ऑनर किलिंग की बात से इनकार नहीं कर रहे हैं। अब रिपोर्ट को मेडिकल पैनल के पास भेजा जाएगा जो आगे की कार्रवाई करेगा।
वहीं उत्तर-प्रदेश पुलिस के महानिदेशक एएल बनर्जी ने भी इस संभावना की ओर संकेत किया है जिस ओर सीबीआई केस को ले जा रही है। सूत्रों के अनुसार, सीबीआई इस मामले में स्थानीय नेताओं की भूमिका भी जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि बीएसपी के विधायक चचेरी बहनों के परिवार को पांच आरोपी पप्पू, अवधेश, उरवेश यादव और कांस्टेबल छत्रपाल यादव व सर्वेश यादव पर आरोप लगाने को कहा था। यह सभी आरोपी एक ही जाति है। सूत्रों के अनुसार ऐसा करने के लिए विधायक ने पीड़िता के परिवार को पैसा दिया था।गौरतलब है कि 27 मई को दोनों चचेरी बहन बदायूं जिले के गांव में पेड़ से लटकी मिली थी। इस घटना के बाद से समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाली अखिलेश यादव की सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय आक्रोश फूट पड़ा था कि यह सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल है।
सीबीआई सूत्रों के अनुसार शक परिवार सदस्यों पर है क्योंकि दोनों बहनों का शव पेड़ से लटका मिला था जो लगभग 12 फीट ऊंचा है। इतना ही नहीं यह घटना स्थल मुख्य आरोपी पप्पू यादव के घर से 20 मीटर की दूरी पर स्थित है। सीबीआई के अनुसार आरोपी पप्पू यादव और बड़ी बहन पिछले एक साल से फोन पर एक दूसरे के संपर्क में थे।
इतना ही नहीं पांचों आरोपियों के लाई-डिटेक्टर टेस्ट से भी शक की सुईं पीड़िता के परिवार के सदस्यों पर जाकर रूकती है। परिवार के सदस्य और एक चश्मदीद गवाह के टेस्ट में विफल रहने पर एजेंसी का शक और गहरा हो गया है। इसके आधार पर जांच एजेंसी इस केस को ऑनर किलिंग का मामला मान रही है।
सूत्रों के मुताबिक देश की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, जांच एजेंसी के लिए अब इस बात पर विश्वास करने का कोई आधार नहीं रह गया है कि दोनो चचेरी बहनों की हत्या करने से पहले बलात्कार किया गया था। दोनों बहनों की लाशें 27 मई को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के गांव में पेड़ से लटकी मिली थी। सूत्रों का कहना है कि अब शक की सुई फिर से परिवार के सदस्यों पर आ गई है।
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद हम ऑनर किलिंग की बात से इनकार नहीं कर रहे हैं। अब रिपोर्ट को मेडिकल पैनल के पास भेजा जाएगा जो आगे की कार्रवाई करेगा।
वहीं उत्तर-प्रदेश पुलिस के महानिदेशक एएल बनर्जी ने भी इस संभावना की ओर संकेत किया है जिस ओर सीबीआई केस को ले जा रही है। सूत्रों के अनुसार, सीबीआई इस मामले में स्थानीय नेताओं की भूमिका भी जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि बीएसपी के विधायक चचेरी बहनों के परिवार को पांच आरोपी पप्पू, अवधेश, उरवेश यादव और कांस्टेबल छत्रपाल यादव व सर्वेश यादव पर आरोप लगाने को कहा था। यह सभी आरोपी एक ही जाति है। सूत्रों के अनुसार ऐसा करने के लिए विधायक ने पीड़िता के परिवार को पैसा दिया था।गौरतलब है कि 27 मई को दोनों चचेरी बहन बदायूं जिले के गांव में पेड़ से लटकी मिली थी। इस घटना के बाद से समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाली अखिलेश यादव की सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय आक्रोश फूट पड़ा था कि यह सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल है।
इतना ही नहीं पांचों आरोपियों के लाई-डिटेक्टर टेस्ट से भी शक की सुईं पीड़िता के परिवार के सदस्यों पर जाकर रूकती है। परिवार के सदस्य और एक चश्मदीद गवाह के टेस्ट में विफल रहने पर एजेंसी का शक और गहरा हो गया है। इसके आधार पर जांच एजेंसी इस केस को ऑनर किलिंग का मामला मान रही है।