टीचर की पहल से सरकारी स्कूल का बदला हाल, गांव वालों ने बना दिया हाईटेक
सबसे खास बात ये है कि स्कूल को संवारने में स्कूल के टीचरों का बहुत बड़ा योगदान है. क्योंकि इन्ही टीचरों ने गांव के लोगों से मदद लेकर इसको हाईटेक रूप दिया है.
- News18Hindi
- Last Updated: July 17, 2017, 1:15 PM IST
बदायूं के गोठा में एक सरकारी स्कूल को वहां काम कर रहे शिक्षकों ने गांव वालों की मदद से मॉर्डन बना दिया है. किसी ने पंखा दिया तो किसी ने कम्प्यूटर, एलईडी और जनरेटर दान में देकर स्कूल को एक नया रूप देने की पहल की है.
बता दें कि वजीरगंज ब्लॉक गोठा का माध्यमिक विद्यालय एक ऐसा सरकारी स्कूल है जो किसी प्राइवेट स्कूल को मात दे रहा है. क्योकि इस स्कूल में वो हर सुविधा मौजूद है जो किसी मॉडर्न स्कूल में होनी चाहिए. वहीं गोठा के सरकारी स्कूल की तर्ज पर जिले में बिसौली ब्लॉक का हररायपुर, जगत ब्लॉक का आमगांव सहित कई मॉडर्न स्कूल मौजूद हैं, जो गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिश कर रहे हैं.

सबसे खास बात ये है कि स्कूल को संवारने में स्कूल के टीचरों का बहुत बड़ा योगदान है. क्योंकि इन्ही टीचरों ने गांव के लोगों से मदद लेकर इसको हाईटेक रूप दिया है. स्कूल में बच्चों के लिए फर्नीचर से लेकर हर कमरे में पंखे तक लगे हैं.मनोरंजन का मौजूद है साधन
यहां बच्चों को म्यूजिक भी सिखाया जाता हैं. बच्चों को संगीत का भरपूर ज्ञान हो इसके लिए हरमोनियम से लेकर तबला तक मौजूद है. जिससे बच्चों को पढ़ाई के साथ उनका मनोरंजन भी हो सके.
स्कूल की साफ-सफाई देखते ही बनती है. स्कूल में बने शौचालय साफ रहते हैं. वहीं गांव के लोग भी स्कूल के लिए हर संभव मदद करते हैं. स्कूल में जेनरेटर और 2 कम्प्यूटर भी हैं जो लोगों ने दान में दिया है.
टीचर मनोज वार्ष्णेय ने बताया कि तीन साल पहले तक यह स्कूल भी अन्य स्कूलों की तरह ही था, लेकिन जब वो इस में सहायक अध्यापक के तौर पर नियुक्त हुए तो यहां की बदहाल स्थिति देखकर कुछ नया करने की तमन्ना लेकर गांव वालों के बीच में पहुंचे और स्कूल को संवारने के लिए मदद मांगी.

मनोज की पहल पर गांव वालों ने सबसे पहले इस स्कूल को 7 पंखे दिए और कम्प्यूटर लैब के लिए टाइल्स दी. इसके बाद मदद करने वालों का तांता लग गया और इससे प्रभावित होकर एक ग्रामीण ने जेनरेटर और 2 कम्प्यूटर दान में दिया. कुछ ही दिनों में कम्प्यूटर लैब बनकर तैयार हो गया.
मॉर्डन स्कूल बनाने में कैसे मिली मदद
इस स्कूल को माॅर्डन बनाने में तकरीबन 3.5 लाख रुपए खर्च हुए. वहीं गोठा का माध्यमिक विद्यालय के टीचर ने बताया कि लोगों से चंदा इकट्टा करके हम लोगों ने इस स्कूल को संवारने का काम किया है. गांव वालों से लेकर शहर के सम्मानित लोगों ने स्कूल को दान में पंखा से लेकर कम्प्यूटर तक दिया. जिससे बच्चों को डिजिटल जानकारी मिल सकें.
बता दें कि वजीरगंज ब्लॉक गोठा का माध्यमिक विद्यालय एक ऐसा सरकारी स्कूल है जो किसी प्राइवेट स्कूल को मात दे रहा है. क्योकि इस स्कूल में वो हर सुविधा मौजूद है जो किसी मॉडर्न स्कूल में होनी चाहिए. वहीं गोठा के सरकारी स्कूल की तर्ज पर जिले में बिसौली ब्लॉक का हररायपुर, जगत ब्लॉक का आमगांव सहित कई मॉडर्न स्कूल मौजूद हैं, जो गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिश कर रहे हैं.

गोठा प्राथमिक विधालय के बच्चे
सबसे खास बात ये है कि स्कूल को संवारने में स्कूल के टीचरों का बहुत बड़ा योगदान है. क्योंकि इन्ही टीचरों ने गांव के लोगों से मदद लेकर इसको हाईटेक रूप दिया है. स्कूल में बच्चों के लिए फर्नीचर से लेकर हर कमरे में पंखे तक लगे हैं.मनोरंजन का मौजूद है साधन
यहां बच्चों को म्यूजिक भी सिखाया जाता हैं. बच्चों को संगीत का भरपूर ज्ञान हो इसके लिए हरमोनियम से लेकर तबला तक मौजूद है. जिससे बच्चों को पढ़ाई के साथ उनका मनोरंजन भी हो सके.

स्कूल में मोजूद मेड
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टीचर मनोज वार्ष्णेय ने बताया कि तीन साल पहले तक यह स्कूल भी अन्य स्कूलों की तरह ही था, लेकिन जब वो इस में सहायक अध्यापक के तौर पर नियुक्त हुए तो यहां की बदहाल स्थिति देखकर कुछ नया करने की तमन्ना लेकर गांव वालों के बीच में पहुंचे और स्कूल को संवारने के लिए मदद मांगी.

टीचर मनोज वार्ष्णेय की फोटो
मनोज की पहल पर गांव वालों ने सबसे पहले इस स्कूल को 7 पंखे दिए और कम्प्यूटर लैब के लिए टाइल्स दी. इसके बाद मदद करने वालों का तांता लग गया और इससे प्रभावित होकर एक ग्रामीण ने जेनरेटर और 2 कम्प्यूटर दान में दिया. कुछ ही दिनों में कम्प्यूटर लैब बनकर तैयार हो गया.
मॉर्डन स्कूल बनाने में कैसे मिली मदद
इस स्कूल को माॅर्डन बनाने में तकरीबन 3.5 लाख रुपए खर्च हुए. वहीं गोठा का माध्यमिक विद्यालय के टीचर ने बताया कि लोगों से चंदा इकट्टा करके हम लोगों ने इस स्कूल को संवारने का काम किया है. गांव वालों से लेकर शहर के सम्मानित लोगों ने स्कूल को दान में पंखा से लेकर कम्प्यूटर तक दिया. जिससे बच्चों को डिजिटल जानकारी मिल सकें.
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First published: July 17, 2017, 11:34 AM IST
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