मांस में मिलावट की होगी पहचान, बरेली के पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने बनाई खास किट

किट को पेटेंट कराने की प्रकिया चल रही है. (Demo)
मांस की मिलावट (Meat adulteration) की पहचान करने के लिए बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के पशुधन उत्पादन प्रौद्योगिकी विभाग ने 'खाद्य पशु प्रजाति पहचान किट ' (फूड एनिमल स्पीसीज आइडेंटिफिकेशन किट) तैयार की है.
- भाषा
- Last Updated: December 16, 2020, 12:02 AM IST
बरेली. मांस की मिलावट (Meat Adulteration ) की पहचान करने के लिए बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के पशुधन उत्पादन प्रौद्योगिकी विभाग ने 'खाद्य पशु प्रजाति पहचान किट ' (फूड एनिमल स्पीसीज आइडेंटिफिकेशन किट) तैयार की है. आईवीआरआई के पशुधन उत्पादन विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राजीव रंजन कुमार ने मंगलवार को बताया कि डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (डीएनए) की मदद से इस किट के जरिए सामान्य अनुमति प्राप्त मांस (बकरा, भेंड आदि) में बीफ (भैंस और गोवंश) और पोर्क (सूअर का मांस) की मिलावट का आसानी से पता लगाया जा सकेगा. संस्थान ने अपने 130 वें स्थापना दिवस (नौ दिसंबर) पर इस किट का उद्घाटन किया.
कुमार ने बताया कि भारत में मवेशियों की करीब 40 नस्लें हैं. कई बार शिकायत आती है कि बाजार में बिकने वाले मांस में बीफ मिला दिया गया है. इसकी जांच के लिए अभी तक कोई स्वदेशी तकनीक नहीं थी, हम विदेशों से आने वाली किट पर निर्भर थे. उन्होंने बताया कि संस्थान को करीब साढ़े तीन साल पहले यह परियोजना मिली थी. मुख्य अन्वेषक के रूप में उनके साथ विभाग की पूरी टीम ने इस तकनीक को तैयार करने में सहयोग किया. इस तकनीक का परीक्षण हैदराबाद सहित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) की अन्य शाखाओं में किया गया है.
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किट होगा पेटेंटवैज्ञानिकों के मुताबिक किट की खास बात यह है कि 25 मिलीग्राम मांस के नमूने से डीएनए के जरिए आसानी से यह पता चल सकेगा कि मांस किस प्रजाति के पशु का है. इस किट को पेटेंट कराने की प्रकिया चल रही है. आईवीआरआई के पूर्व निदेशक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई किट नहीं थी जो एक साथ कई पशुओं के मांस की जांच कर सके, मसलन कई पशुओं का मांस मिला हुआ हो तो अब तक मौजूद किट सिर्फ यह बता सकती थी कि इसमें मिलावट है, जबकि आईवीआरआई की ईजाद किट बता सकेगी कि नमूने में कितना और कौन-कौन से पशुओं का मांस मिला हुआ है.
कुमार ने बताया कि भारत में मवेशियों की करीब 40 नस्लें हैं. कई बार शिकायत आती है कि बाजार में बिकने वाले मांस में बीफ मिला दिया गया है. इसकी जांच के लिए अभी तक कोई स्वदेशी तकनीक नहीं थी, हम विदेशों से आने वाली किट पर निर्भर थे. उन्होंने बताया कि संस्थान को करीब साढ़े तीन साल पहले यह परियोजना मिली थी. मुख्य अन्वेषक के रूप में उनके साथ विभाग की पूरी टीम ने इस तकनीक को तैयार करने में सहयोग किया. इस तकनीक का परीक्षण हैदराबाद सहित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) की अन्य शाखाओं में किया गया है.
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किट होगा पेटेंटवैज्ञानिकों के मुताबिक किट की खास बात यह है कि 25 मिलीग्राम मांस के नमूने से डीएनए के जरिए आसानी से यह पता चल सकेगा कि मांस किस प्रजाति के पशु का है. इस किट को पेटेंट कराने की प्रकिया चल रही है. आईवीआरआई के पूर्व निदेशक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई किट नहीं थी जो एक साथ कई पशुओं के मांस की जांच कर सके, मसलन कई पशुओं का मांस मिला हुआ हो तो अब तक मौजूद किट सिर्फ यह बता सकती थी कि इसमें मिलावट है, जबकि आईवीआरआई की ईजाद किट बता सकेगी कि नमूने में कितना और कौन-कौन से पशुओं का मांस मिला हुआ है.