रिपोर्ट – कृष्ण गोपाल द्विवेदी
बस्ती: सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना इसके अलावा हाईरिस्क प्रेगनेसी को चिन्हित करना आदि चलाई जा रही हैं, लेकिन बस्ती जनपद में पिछले तीन सालों के आंकड़े डरा रही हैं, क्योंकि यहां साल दर साल गर्भवती महिलाओं और प्रसूतवों के मौत का ग्राफ बढ़ ही रहा है, इससे जाहिर होता है की सरकार द्वारा जारी योजनाओं का लाभ जनपद के गर्भवती और प्रसूताओ को नहीं मिल पा रहा है, इससे निगरानी तंत्र के ऊपर भी सवालिया निशान खड़ा हो रहा है, क्योंकि गर्भवती व प्रसूताओं के लिए संचालित योजनाएं बेदम साबित हो रही है, अगर बात की जाए इस वर्ष की तो इस वर्ष पिछले 10 माह में 23 गर्भवती प्रसूताओं ने दम तोड़ दिया.
एक नजर आंकड़ों पर
सरकार का प्रयास है की गर्भवती व प्रसूताओं के मृत्यु दर में कमी लाया जाए, किन्तु बस्ती जनपद में प्रसूतवों के मौत का आंकड़ा काफ़ी डरावनी है, वर्ष 2020-21 में जहां 30 गर्भवती और प्रसूतवों ने दम तोड़ा था तो वही 2021-22 में 39 गर्भवती और प्रसूता असमय काल के गाल में समा गई थी और इस साल पिछले 10 माह में 23 ज़िंदगी मौत के गाल में समा चुकी हैं.
क्या है विभागीय दावा
विभागीय दावा है कि हाईरिस्क प्रेग्नेंसी व गर्भ के दौरान आशा के माध्यम से लगातार निगरानी की जा रही है, मगर आकस्मिक मौत ने व्यवस्था के दावों की पोल खोल दी है। महिला अस्पताल के चिकित्सकों की मानें तो प्रसूता व गर्भवती की मौत का ज्यादातर कारण अत्याधिक रक्तस्राव व हार्ट अटैक है.
वहीँ सीएमओ डॉ.आरपी मिश्रा ने बताया कि संस्थागत प्रसव बढ़ाने तथा गांवों में गर्भवती को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर लगातार प्रयास जारी है। आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
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