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Ram Navami 2023: श्रीराम के जन्म से जुड़ा है यह घृत नाला, यहां यज्ञ कराने से होती है संतान की प्राप्ति

अयोध्या से मखौड़ा धाम तक बना था घृत नाला. 

अयोध्या से मखौड़ा धाम तक बना था घृत नाला. 

Basti News: मान्यता है कि जो लोग इस पावन तट पर स्थित क्षेत्र में हवन यज्ञ आदि संस्कार कराते हैं तो उनके मनोरथ सफल हो जा ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: कृष्ण गोपाल द्विवेदी

बस्ती. पूरी दुनिया अयोध्या को भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में जानती है, लेकिन कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि भगवान श्रीराम की उद्भव स्थली बस्ती जनपद में मखौड़ा धाम है. इस मंदिर की अपनी एक पौराणिक कहानी है. यह वही स्थान है, जहां महाराज दशरथ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया था. तब जाकर राजा दशरथ को चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी. मखौड़ा में आज भी लोग संतान प्राप्ति के लिए यहां यज्ञ करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी भी होती है.

ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में जब राजा दशरथ को पुत्र नहीं हुए, तो उन्हें इसकी चिन्ता सताने लगी. फिर राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के पास गए और गुरु वशिष्ठ ने उन्हें पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी. इसके लिए गुरु वशिष्ठ ने श्रृंगी ऋषि को बुलाया और श्रृंगी ऋषि के कहने पर बस्ती के मखौड़ा धाम में मनोरमा नदी के तट पर इस यज्ञ कराने का निर्णय लिया गया, जो पुरी तरह से शुद्ध गाय के घी से होना था.

आज भी स्थित है घृत नाला

पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाने के लिए त्रेता युग में धर्मनगरी अयोध्या से बस्ती जनपद के मखौड़ा धाम तक घृत नाले का निर्माण करवाया गया था. जिसका अवशेष आज भी जगह जगह विद्यमान है. इसी घृत नाले से यज्ञ के लिए घी अयोध्या से मखौड़ा धाम तक लाया गया था. वर्तमान में इसका अवशेष बस्ती जिले के घघौवा पुल से होकर रिधौरा ग्राम पंचायत होते हुए गोंडा बस्ती की सीमा से सटा हुआ हैदराबाद, सिकंदरपुर, चौरी, नंदनगर, करिगहना होते हुए जमौलिया के रास्ते मखौड़ा धाम तक मौजूद है. जिसके जीर्णोद्धार का कार्य किया जा रहा है, सुरक्षा कारणों की वजह से प्राचीन काल में यह नाला बंद कर दिया गया था. आज भी मान्यता है कि इस पवित्र तट पर यज्ञ हवन करने से लोगों की मुरादे पूरी होती हैं.

पुत्ररत्न की होती है प्राप्ति

धाम के मुख्य पुजारी सूरजदास वैदिक ने बताया कि पवित्र माह में यहां हवन, यज्ञ करने के लिए श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है. यहां हवन, यज्ञ पूजन करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. साथ ही लोक कल्याण हेतु साधू संतों द्वारा बीते वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से सतत बारह वर्षों तक चलने वाला अखण्ड राम नाम का जप भी प्रारम्भ हुआ है जो सतत चल रहा है.

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