अमेरिकियों को खूब भाए भदोही और मिर्जापुर के कालीन, सालभर में कारोबार 12,000 करोड़ के पार

डिमांड में हैं भदोही मिर्जापुर के कालीन कारीगर
मंदी (Slowdown) के समय में भी देश का कालीन उद्योग (Carpet Industry) अपने बेहतरीन दौर से गुज़र रहा है. पिछले साल के मुकाबले इस साल 10 प्रतिशत ग्रोथ दर्ज की गई है. बताया जा रहा है कि यहां के कालीन अपनी क्वालिटी और डिज़ाइन को लेकर अंतरराष्ट्रीय बाजार (International market) में डिमांड (demand) में हैं.
- News18 Uttar Pradesh
- Last Updated: October 15, 2019, 4:24 PM IST
भदोही. हमारे देश में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां मंदी (Slowdown) की मार देखी जा रही है लेकिन देश के कालीन उद्योग (Carpet Industry) का निर्यात (Export) नई ऊंचाई छू रहा है. कार्पेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल (Carpet Export promotion council) ने नए आंकड़े जारी किये हैं जो कालीन उद्योग के साथ सरकार को भी राहत देने वाले हैं. साल 2018-19 में निर्यात 12,365 करोड़ पहुंच गया है. जो वर्ष 2017-18 से 1300 करोड़ ज्यादा है. आपको बता दें कि कालीन उद्योग से यह अब तक का सबसे ज्यादा निर्यात है. अन्य क्षेत्रों में मंदी की बात की जा रही थी, वहीं अब कालीन उद्योग की सफलता से भदोही के निर्यातकों में खुशी है.
डिमांड में हैं भदोही और मिर्जापुर के कालीन
भदोही, मिर्ज़ापुर, पानीपत, जम्मू कश्मीर, राजस्थान समेत कई शहरों से कालीन का निर्यात किया जाता है लेकिन पूरे देश में कालीन निर्माण और निर्यात के सबसे बड़े क्षेत्र भदोही और मिर्ज़ापुर हैं. कालीन उद्योग से सबसे ज्यादा निर्यात यूएसए में किया जाता है. आपको बता दें कि कालीन के निर्यात में लगातार तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है जिसकी सबसे बड़ी वजह यहां के कार्पेट की अच्छी क्वालिटी और यूनिक डिजायन है. कई कालीन निर्माता देशों से हमारे देश के कालीन उद्योग की टक्कर होती है, लेकिन उसके बाद भी विदेशी बाजारों में भारतीय कालीनों का दबदबा बरकरार तो है ही, बढ़ता भी जा रहा है. कालीन निर्यातक खुशी जैन के मुताबिक निर्यातकों की बेहतर मार्केटिंग स्किल के साथ ही केंद्र सरकार की नीतियों के चलते निर्यात में बढ़ोत्तरी हो रही है. निर्यातक संजय गुप्ता ने बताया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष कालीन निर्यात को 2022 तक दुगुना करने का लक्ष्य दिया था, निर्यातक उसे पूरा करने की तरफ बढ़ रहे हैं. उम्मीद है की आने वाले समय में निर्यात और तेजी से बढ़ेगा.
साल भर में 10 प्रतिशत बढ़ा कालीन का निर्यात
हमारे देश का कालीन उद्योग बहुत ही निचले पायदान से आज इस मुकाम पर पहुंचा है. 1962 में करीब साढ़े 4 करोड़ का निर्यात हुआ करता था, जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए 1980 में 135 करोड़ पहुंचा. 1993 में कालीन निर्यात ने 1000 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया और 1048 करोड़ जा पहुंचा. उसके बाद कुछ मामूली उतार चढाव के बीच 2006 -07 में 3700 करोड़ का निर्यात दर्ज हुआ और 2014 -15 में 11120 करोड़ का एक्सपोर्ट करते हुए इस वर्ष अब तक का सबसे अधिक निर्यात यानी 12364 करोड़ पहुंच गया है, जो 2017 -18 के 11028 करोड़ से 1200 करोड़ ज्यादा है. ये कालीन उद्योग की सबसे बड़ी सफलता है.
(रिपोर्ट- दिनेश पटेल)
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डिमांड में हैं भदोही और मिर्जापुर के कालीन
भदोही, मिर्ज़ापुर, पानीपत, जम्मू कश्मीर, राजस्थान समेत कई शहरों से कालीन का निर्यात किया जाता है लेकिन पूरे देश में कालीन निर्माण और निर्यात के सबसे बड़े क्षेत्र भदोही और मिर्ज़ापुर हैं. कालीन उद्योग से सबसे ज्यादा निर्यात यूएसए में किया जाता है. आपको बता दें कि कालीन के निर्यात में लगातार तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है जिसकी सबसे बड़ी वजह यहां के कार्पेट की अच्छी क्वालिटी और यूनिक डिजायन है. कई कालीन निर्माता देशों से हमारे देश के कालीन उद्योग की टक्कर होती है, लेकिन उसके बाद भी विदेशी बाजारों में भारतीय कालीनों का दबदबा बरकरार तो है ही, बढ़ता भी जा रहा है. कालीन निर्यातक खुशी जैन के मुताबिक निर्यातकों की बेहतर मार्केटिंग स्किल के साथ ही केंद्र सरकार की नीतियों के चलते निर्यात में बढ़ोत्तरी हो रही है. निर्यातक संजय गुप्ता ने बताया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष कालीन निर्यात को 2022 तक दुगुना करने का लक्ष्य दिया था, निर्यातक उसे पूरा करने की तरफ बढ़ रहे हैं. उम्मीद है की आने वाले समय में निर्यात और तेजी से बढ़ेगा.

भदोही मिर्जापुर के कारीगरों के काम की अमेरिका में काफी मांग है
हमारे देश का कालीन उद्योग बहुत ही निचले पायदान से आज इस मुकाम पर पहुंचा है. 1962 में करीब साढ़े 4 करोड़ का निर्यात हुआ करता था, जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए 1980 में 135 करोड़ पहुंचा. 1993 में कालीन निर्यात ने 1000 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया और 1048 करोड़ जा पहुंचा. उसके बाद कुछ मामूली उतार चढाव के बीच 2006 -07 में 3700 करोड़ का निर्यात दर्ज हुआ और 2014 -15 में 11120 करोड़ का एक्सपोर्ट करते हुए इस वर्ष अब तक का सबसे अधिक निर्यात यानी 12364 करोड़ पहुंच गया है, जो 2017 -18 के 11028 करोड़ से 1200 करोड़ ज्यादा है. ये कालीन उद्योग की सबसे बड़ी सफलता है.
(रिपोर्ट- दिनेश पटेल)
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