भदोही में संत कल्पवृक्ष गिरी के परिजनों ने मामले की निष्पक्ष जांच कर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
भदोही. महाराष्ट्र (Maharashtra) के पालघर (Palghar) में पीट-पीटकर जिन दो साधु-संतों को मौत के घाट उतार दिया गया था, उनमें एक संत कल्पवृक्ष गिरी उत्तर प्रदेश के भदोही (Bhadohi) जिले के रहने वाले थे. उनकी हत्या की खबर से उनके परिवार के लोग शोक में डूबे हैं. मृतक संत कल्पवृक्ष गिरी के परिजनों ने दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
पिता ने नाम रखा था कृष्ण चंद्र तिवारी
मॉब लिन्चिंग के शिकार कल्पवृक्ष गिरी भदोही जनपद के वेदपुर गांव के रहने वाले चिंतामणि तिवारी के पुत्र थे. जानकारी के मुताबिक उन्होंने मात्र 10 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया था और संत-महात्माओं के साथ जूना अखाड़े में जाकर रहने लगे थे. परिजनों ने उनका नाम कृष्ण चंद्र तिवारी रखा था. जब वो साधु-संतों की संगत में आए, तब उनका नाम संत कल्पवृक्ष गिरी हुआ. उनके परिजनों ने बताया कि जब वो करीब 10 साल की उम्र के थे तब अचानक घर से गायब हो गए थे और फिर कुछ साल के बाद उनके कुछ परिचित महाराष्ट्र के जोगेश्वरी मंदिर में एक भंडारे में गए हुए थे. तब पता लगा कि वो वहां रह रहे हैं.
अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच सके भाई
कल्पवृक्ष गिरी का पता लगने के बाद उसके बाद परिवार के लोग उनसे मिलने गए और उनको घर आने के लिए खूब मनाया-समझाया लेकिन वो घर वापस नहीं लौटे. संत कल्पवृक्ष गिरी के छोटे भाई राकेश चंद्र तिवारी ने कहा कि लॉक डाउन होने की वजह से वो लोग उनके अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच पाए. लेकिन उनके परिवार के कुछ लोग वहां थे, वो वहां पहुंचे हुए थे. अपने भाई के विषय में बताते हुए उनकी आंखें भर आईं. उन्होंने मांग की है कि जो लोग दोषी हैं, उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो. उन्हें कड़ी सजा दी जाए. उन्होंने कहा कि ऐसा करने वाले लोगों ने राक्षसी काम किया है.
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