बुलंदशहर. गंगा की गोद में बसे अनूपशहर में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था. शुरुआती तीन चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1967 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस के इस किले में जनसंघ ने सेंधमारी की. हालांकि दो साल बाद हुए 1969 के चुनाव में जनसंघ सीट बचाने में नाकाम रहा और कांग्रेस ने फिर इस पर कब्जा कर लिया. इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनावों में सात बार कांग्रेस को जीत मिली है. तीन बार भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी दो बार, भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी, जनता दल के उम्मीदवार एक-एक बार सफल हुए. समाजवादी पार्टी अभी तक खाता नहीं खोल सकी है. वर्तमान में भाजपा के संजय शर्मा यहां से विधायक हैं.
1991 के विधानसभा चुनाव में पहली बार इस सीट पर भाजपा को जीत मिली थी. इसके बाद 1993 में भी भाजपा उम्मीदवार नवल किशोर दूसरी बार जीतने में सफल रहे. 1996 में कांग्रेस के सतीश शर्मा, 2002 में स्वतंत्र उम्मीदवार होशियार सिंह के सिर जीत का सेहरा बंधा. 2007 से 2017 तक बसपा के गजेंद्र सिंह विधायक रहे. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के संजय शर्मा ने बसपा के गजेंद्र सिंह को 60 हजार से अधिक वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी.
छोटी काशी के नाम से मशहूर अनूपशहर विधानसभा सीट पर कुल 3.61 लाख मतदाता हैं. इसमें अनुसूचित जाति के वोटर सबसे अधिक 70 हजार हैं, इसके बाद मुस्लिमों की संख्या है, जिनके लगभग 62 हजार वोटर हैं. लोध राजपूत 60 हजार और जाट समुदाय के 50 हजार वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं. दोनों मिलकर किसी को भी हराने जिताने की ताकत रखते हैं. इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कल्याण सिंह का भी प्रभाव था. कल्याण सिंह के निधन और कृषि कानूनों को लेकर जाटों की नाराजगी के चलते इस सीट पर जीत को दोहराना भाजपा विधायक संजय शर्मा के लिए चुनौती होगा.
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