मॉब लिंचिंग में मारे गए रकबर के बच्चों ने खेलकूद में जीते डिस्ट्रिक्ट मेडल, अब स्टेट की तैयारी!

आमिर मिंटो का कहना है कि क्लास 9 और 10 में आते ही इन बच्चों को सिविल सहित दूसरे परीक्षाओं की तैयारी भी कराई जाएगी. (File Photo)
Success Story: मॉब लिंचिंग के शिकार रकबर और उमर के बच्चों ने खेल-कूद प्रतियोगिता में जीते हैंडिस्ट्रिक्ट मेडल
- News18Hindi
- Last Updated: October 5, 2019, 12:07 PM IST
अलीगढ़. रकबर और उमर का नाम याद होगा आपको? ये वही हैं जो मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) के शिकार होकर अपनी जान गंवा बैठे थे. पिता की मौत के गम और उससे उपजी नफरत को भुलाकर इन दोनों के बच्चे कामयाबी की नई कहानी लिख रखे हैं. हाल ही में ऐसे तीन परिवारों के छह बच्चों ने खेलकूद (Sports) में डिस्ट्रिक्ट मेडल (District Medal) हासिल किए हैं. ये होनहार अब स्टेट लेवल (State Level) पर मेडल जीतने के लिए जीत-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. उनकी इस कोशिश में उनका हाथ थामने वाले हैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के पूर्व छात्र और चाचा नेहरू मदरसे का मैनेजमेंट. अलीगढ़ (Aligarh) में रहकर ये बच्चे नेशनल की तैयारी कर रहे हैं और अपने पढ़ाई-लिखाई को भी आगे बढ़ा रहे हैं.
चाचा नेहरू मदरसे में पढ़ रहे हैं पीड़ित परिवारों के बच्चे
देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी अलीगढ़ में चाचा नेहरू के नाम से एक मदरसा संचालित करती हैं. इस मदरसे में मॉब लिंचिंग के शिकार हुए परिवारों के बच्चे पढ़ रहे हैं. प्रिंसिपल मोहम्मद राशिद ने बताया कि मदरसे में दीनी पढ़ाई के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती है. यहां रकबर उर्फ अकबर के तीन और हरियाणा में मारे गए उमर के बेटे सरफराज सहित छह बच्चे हैं.
बॉक्सिंग-कराटे सहित दूसरे खेल की ले रहे ट्रेनिंगराशिद का कहना है कि हाल ही में रकबर और उमर के बच्चों ने डिस्ट्रिक्ट प्रतियोगिता में कई मेडल हासिल किए हैं. उन्हें बॉक्सिंग, कराटे, किक, कैरम आदि खेलों की ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके साथ ही जिन छह बच्चों ने हाल ही में डिस्ट्रिक्ट लेवल की प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर मेडल हासिल किए हैं उन्हें अब राज्यस्तर पर मेडल लाने के लिए तैयार किया जा रहा है. वहीं मदरसे के दूसरे बच्चे राज्यस्तरीय बॉक्सिंग जीतने के बाद अब नेशनल की तैयारी कर रहे हैं. झांसी में उन्होंने स्टेट लेवल पर मेडल जीते थे.
कौन है पीड़ित बच्चों की उंगली थामने वाला एएमयू छात्र
एएमयू से तालीम हासिल करने वाले आमिर मिंटो ने अलीगढ़ को अपना ठिकाना बनाया हुआ है. वो काफी वक्त से मॉब लिंचिंग का शिकार बने परिवारों को तलाश करते हैं और उनके बच्चों की तालीम देने में मददगार बनते हैं. स्टेप फाउंडेशन के तहत उन्होंने लिंचिंग पीड़ित परिवारों की एक सूची तैयार की है. अब एक-एक परिवार का मोबाइल नंबर तलाश कर वो उनसे मुलाकात कर रहे हैं. जैसे ही पीड़ित परिवार का कोई बच्चा मिल जाता है वो उसे मदरसे में भर्ती करा देते हैं. ऐसे बच्चों की कोचिंग भी कराई जाती है.
क्या कहते हैं आमिर मिंटो और मदरसा प्रिंसिपल
मदरसे में इन बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है. बच्चों की बेहतर माहौल में परवरिश हो रही है, जिससे जेहन से उनके पिता की हत्या की पुरानी यादें खत्म कर उनको एक अच्छा नागरिक बनाया जा सके. मदरसा अपने स्तर पर इनकी परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
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चाचा नेहरू मदरसे में पढ़ रहे हैं पीड़ित परिवारों के बच्चे
देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी अलीगढ़ में चाचा नेहरू के नाम से एक मदरसा संचालित करती हैं. इस मदरसे में मॉब लिंचिंग के शिकार हुए परिवारों के बच्चे पढ़ रहे हैं. प्रिंसिपल मोहम्मद राशिद ने बताया कि मदरसे में दीनी पढ़ाई के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती है. यहां रकबर उर्फ अकबर के तीन और हरियाणा में मारे गए उमर के बेटे सरफराज सहित छह बच्चे हैं.
बॉक्सिंग-कराटे सहित दूसरे खेल की ले रहे ट्रेनिंगराशिद का कहना है कि हाल ही में रकबर और उमर के बच्चों ने डिस्ट्रिक्ट प्रतियोगिता में कई मेडल हासिल किए हैं. उन्हें बॉक्सिंग, कराटे, किक, कैरम आदि खेलों की ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके साथ ही जिन छह बच्चों ने हाल ही में डिस्ट्रिक्ट लेवल की प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर मेडल हासिल किए हैं उन्हें अब राज्यस्तर पर मेडल लाने के लिए तैयार किया जा रहा है. वहीं मदरसे के दूसरे बच्चे राज्यस्तरीय बॉक्सिंग जीतने के बाद अब नेशनल की तैयारी कर रहे हैं. झांसी में उन्होंने स्टेट लेवल पर मेडल जीते थे.
कौन है पीड़ित बच्चों की उंगली थामने वाला एएमयू छात्र
एएमयू से तालीम हासिल करने वाले आमिर मिंटो ने अलीगढ़ को अपना ठिकाना बनाया हुआ है. वो काफी वक्त से मॉब लिंचिंग का शिकार बने परिवारों को तलाश करते हैं और उनके बच्चों की तालीम देने में मददगार बनते हैं. स्टेप फाउंडेशन के तहत उन्होंने लिंचिंग पीड़ित परिवारों की एक सूची तैयार की है. अब एक-एक परिवार का मोबाइल नंबर तलाश कर वो उनसे मुलाकात कर रहे हैं. जैसे ही पीड़ित परिवार का कोई बच्चा मिल जाता है वो उसे मदरसे में भर्ती करा देते हैं. ऐसे बच्चों की कोचिंग भी कराई जाती है.
क्या कहते हैं आमिर मिंटो और मदरसा प्रिंसिपल
मदरसे में इन बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है. बच्चों की बेहतर माहौल में परवरिश हो रही है, जिससे जेहन से उनके पिता की हत्या की पुरानी यादें खत्म कर उनको एक अच्छा नागरिक बनाया जा सके. मदरसा अपने स्तर पर इनकी परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
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