रिपोर्ट: धीरेन्द्र शुक्ला
चित्रकूट : प्रभु श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में एक ऐसा मंदिर है, जिसे यज्ञवेदी मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर ब्रह्माजी ने 108 कुंड बनाकर यज्ञ किया था. कहा जाता है कि त्रेता युग से पहले सतयुग में यह स्थान पवित्र नहीं था, यहां भयंकर राक्षसों का वास था. उनके गलत कार्यों के कारण यहां की धरती अपवित्र हो चुकी थी.
ब्रह्माजी को यह ज्ञान पहले से था कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम अपने वनवास के 11 वर्ष और छह मास का समय चित्रकूट में बिताएंगे, इसलिए उन्होंने यहां की धरती को पवित्र करने के लिए यज्ञ किया था. यज्ञवेदी मंदिर आज भी चित्रकूट के रामघाट पर मौजूद है. इस मंदिर के अंदर 108 हवन कुंड भी हैं, जिनके दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं. ऐसी मान्यता है इस कुंड में देखने पर सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.
आज भी किया जा रहा है यज्ञ
यज्ञवेदी मंदिर के पुजारी बताते हैं कि सतयुग से ही इस स्थान पर लगातार यज्ञ किया जा रहा है. यह कभी बंद नहीं होता है. यहां पर यज्ञ के साथ राम नाम का जाप ही होता रहता है. इसके अलावा, अखंड मानस का पाठ चौबीसों घंटे चलता रहता है. इस मंदिर में प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण की झांकी भी विद्यमान है. इनके दर्शन श्रद्धालुओं को प्राप्त होते हैं. ब्रह्माजी के भी दर्शन लोग करते हैं.
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